कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया को विश्वास है कि राज्य में 10 मई 2023 को होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करेगी। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए गए एक इंटरव्यू में सिद्धारमैया ने कहा कि BJP विधायक कांग्रेस में शामिल होने हो रहे हैं, यह राज्य की भाजपा सरकार में लोगों का विश्वास खोने का संकेत है।
इस बार कांग्रेस के पक्ष में लहर- सिद्धारमैया
10 मई के चुनाव में बहुमत हासिल करने के सवाल पर सिद्धारमैया ने कहा कि हम 100 फीसदी जीतेंगे। इस बार कांग्रेस को बहुमत मिलेगा और वह अपने दम पर सत्ता में वापसी करेगी। क्या आपको डर है कि कुल 224 सीटों में से अगर आप 120 या 125 जीत जाते हैं तो भी 13 से 14 विधायक भाजपा में चले जाएंगे? इस सवाल के जवाब में सिद्धारमैया ने कहा, “ऑपरेशन कमल हमेशा सफल नहीं हो सकता। इस बार भाजपा कोशिश करेगी तो बुरी तरह फेल हो जाएगी। मैंने कई बार प्रदेश का दौरा किया है। इस बार कांग्रेस के पक्ष में लहर साफ दिख रही है।
कर्नाटक में हिंदुत्व कार्ड या नफरत की राजनीति नहीं चलेगी
सिद्धारमैया ने कहा, “यह कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण चुनाव है। हम 2018 तक सत्ता में थे और हमें तब बीजेपी से ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन हम सरकार में नहीं रह पाए। राष्ट्रीय राजनीति के नजरिए से भी आने वाले चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं। यदि हम यह चुनाव जीतते हैं, तो यह राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक मील का पत्थर होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में होंगे।” उन्होंने कहा कि इस बार कर्नाटक में हिंदुत्व कार्ड या नफरत की राजनीति नहीं चलेगी। भाजपा धन बल से जीतना चाहती थी लेकिन मेरे आकलन के अनुसार यह संभव नहीं है।
यह सरकार गरीबों के खिलाफ- कांग्रेस नेता
आप 2018 के चुनावों से पहले भी आश्वस्त थे, अपनी योजनाओं पर भरोसा कर रहे थे लेकिन कांग्रेस को सिर्फ 79 सीटों पर जीत मिली। इस सवाल के जवाब में सिद्धारमैया ने कहा, “लोग अब कांग्रेस सरकार को याद कर रहे हैं और उसकी तुलना भाजपा और कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन से कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि कांग्रेस सरकार उनसे हजार गुना बेहतर थी। 2008 से 2013 के बीच भी ऑपरेशन कमला के जरिए बीजेपी को सत्ता मिली थी लेकिन, वो सबसे नॉन परफॉर्मिंग सरकार थी। उदाहरण के लिए हमने पांच साल में 15 लाख घर बनाए। इन लोगों ने बिना मकान वालों को एक भी घर नहीं दिया। यह सरकार गरीबों के खिलाफ है।
कांग्रेस के किसी भी अन्य नेता की तुलना में भाजपा के नेता आपको सबसे अधिक निशाना बनाते हैं। क्या आपको लगता है कि इसकी रणनीति आपके कुरुबा समुदाय को टारगेट करके एससी/एसटी और उच्च जातियों को आकर्षित करना है? इस सवाल पर सिद्धारमैया ने कहा, “जनता मूर्ख नहीं है। जहां तक (एससी/एसटी आरक्षण में वृद्धि) और आंतरिक आरक्षण का संबंध है, कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन सरकार के तहत नागमोहन दास आयोग का गठन किया गया था। 2020 में इसने अपनी रिपोर्ट दी। ढाई साल से बीजेपी इस मामले में सो रही थी। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आए, उन्होंने आरक्षण को लागू करने का फैसला लिया।
आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन लाएं
बीजेपी द्वारा मुस्लिम कोटे को खत्म करने और वोक्कालिगा और लिंगायत के लिए इसे बढ़ाने के सवाल पर सिद्धारमैया ने कहा, “क्या यह वोक्कालिगा या लिंगायत की मांग थी कि उन्हें यह कोटा दिया जाए? क्या स्थायी पिछड़ा वर्ग आयोग की कोई रिपोर्ट है जो कहती है कि इसे समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि आरक्षण धर्म पर आधारित था? या कोई हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का फैसला है? इस सरकार को मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण को खत्म करने का अधिकार क्या है?” उन्होंने आगे कहा, “हम वोक्कालिगा और लिंगायत के लिए आरक्षण बढ़ाने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन संविधान में एक संशोधन लाएं। संशोधन लाने के लिए भारत सरकार से अनुरोध करें।”
अगर कोई मुख्यमंत्री बनना चाहता है तो इसमें बुराई नहीं- सिद्धारमैया
कांग्रेस में आपके और शिवकुमार के अलावा एम बी पाटिल जैसे नेताओं ने खुले तौर पर कहा है कि वे मुख्यमंत्री पद के आकांक्षी हैं? कांग्रेस में वर्तमान में कितने सीएम उम्मीदवार हैं? इस सवाल पर सिद्धारमैया बोले, “अगर कोई मुख्यमंत्री बनना चाहता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। आखिरकार नवनिर्वाचित विधायक, विधायक दल का नेता चुनेंगे जिसके बाद आलाकमान फैसला लेगा। यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है।
(Story By- Akram M)
