आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में भाजपा और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है। झारखंड की राजनीति के जानकारों का मानना है कि राज्य में ना तो भाजपा का राष्ट्रवाद का मुद्दा अहम है और ना ही कांग्रेस का ‘चौकीदार चोर है’ का नारा। झारखंड में स्थानीय मुद्दों के आधार पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है। भाजपा की बात करें तो बीते लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी ने यहां कि 14 लोकसभा सीटों में से 12 पर जीत दर्ज कर शानदार प्रदर्शन किया था। इस बार भी पार्टी झारखंड में अच्छा प्रदर्शन करने का दावा कर रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, भाजपा अपनी गुड गवर्नेंस के दावों के दम पर जनता के बीच वोट मांगने पहुंची है। बता दें कि भाजपा गरीब परिवारों को 1.5 लाख रुपए उनके खाते में ट्रांसफर करने, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत लोगों को आवास, उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवारों को एलपीजी सिलेंडर और सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन जैसी योजनाओं का जमकर प्रचार कर रही है और राज्य में भाजपा को इन मुद्दों पर समर्थन भी मिल रहा है।

वहीं दूसरी तरफ भाजपा को ‘छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट’ और ‘सांथल परगना टेनेंसी एक्ट’ के प्रस्तावित संशोधन के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ रही है। बता दें कि इन दोनों कानूनों के प्रभाव में आ जाने के बाद गैर-आदिवासी लोग आदिवासी जमीन को खरीद सकेंगे। इसके अलावा सरकार को भी अधिकार मिल जाएगा कि वह आदिवासियों की जमीन को गैरकृषि कार्यों के लिए भी इस्तेमाल कर सकेगी। आदिवासी बहुल राज्य में ये प्रस्तावित कानून भाजपा की मुश्किल बढ़ा सकते हैं। हालांकि भाजपा नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि टेनेंसी एक्ट में संशोधन का विचार अब त्याग दिया गया है। लेकिन लोगों में अभी भी इसे लेकर संशय बना हुआ है। इसके अलावा पार्टी को भीतरघात से भी निपटना होगा।

उल्लेखनीय है कि झारखंड की खूंटी लोकसभा सीट और रांची लोकसभा सीट भाजपा के दबदबे वाली मानी जाती है। हालांकि इस बार भाजपा को इन दोनों ही सीटों पर कड़ी चुनौती मिल सकती है। दरअसल खूंटी से आठ बार सांसद रहे भाजपा नेता करिया मुंडा को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। करिया मुंडा को 75 वर्ष वाले बेंचमार्क के तहत टिकट नहीं मिला है। भाजपा ने यहां झारखंड के पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा को चुनाव मैदान में उतारा है, जिनका सामना कांग्रेस नेता काली चरण मुंडा के साथ होगा। भाजपा की झारखंड के कुर्मी और तेली समुदाय में अच्छा खासा प्रभाव है, लेकिन आदिवासी समुदाय यहां निर्णायक स्थिति में है। यही वजह है कि भाजपा को इस बार तगड़ा मुकाबला मिल सकता है। इसी तरह रांची में भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद राम तहल चौधरी का टिकट काटकर संजय सेठ को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिसके खिलाफ चौधरी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। संजय सेठ का मुकाबला कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय के साथ है।