मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने ईवीएम मशीनों में टेंपरिंग रोकने के लिए चुनाव आयोग को एक बेहतरीन सुझाव दिया है। उनका कहना है कि अगर उनके प्रस्ताव को आयोग मानता है तो इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में टेपरिंग की शिकायत को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है।
दिग्विजय सिंह ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा कि चुनाव आयोग (ECI) से राज्य चुनावों में मतदाताओं को वीवीपीएटी (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियां उपलब्ध कराने की अपील की। राज्य में इन मशीनों के परीक्षण के दौरान ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने आयोग से मतदाताओं को अलग से वीवीपैट पर्चियां सौंपने का आग्रह किया। इनको एक अलग मतपेटी में रखे जाने का सुझाव दिया।
कांग्रेस नेता का कहना था कि मतगणना शुरू की जाए तो आयोग वीवीपीएटी के किन्ही भी 10 बक्सों को उनसे जुड़ी ईवीएम से मिलान करे। अगर नतीजे सही होते हैं तो आगे की काउंटिंग की जाए। अगर नतीजों में हेरफेर मिलता है तो फिर आयोग को दूसरा रास्ता देखना होगा। उनका तर्क है कि इस कदम को उठाने के बाद लोगों का विश्वास ईवीएम और चुनावी प्रक्रिया में और ज्यादा मजबूत होगा। ईवीएम पर सवालिया निशान नहीं खडे़ होंगे।
अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा कि VVPAT स्लिप हमें हाथ में दे दो, जिसे हम अलग से रखे मतपेटी में डाल दें। मतगणना के पहले किसी भी 10 मतपेटी के वोट गिन लो और ईवीएम के नतीजों से मेल कर लो। यदि दोनों का नतीजा एक जैसा है तो ईवीएम के नतीजों से रिजल्ट डिक्लेअर कर दो। इसमें चुनाव आयोग को क्या दिक़्कत है? माननीय सुप्रीम कोर्ट से यही प्रार्थना है इसे गंभीरता से लेकर देश में लोकतंत्र को बचाइए।T
हालांकि बीजेपी को दिग्विजय सिंह की ये सलाह रास नहीं आई। उन्होंने तीखा वार करते हुए कहा कि जब भी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी चुनाव हारने लगती है तो उसके नेता इसी तरह का राग अलापने लग जाते हैं। उनका कहना था कि दिग्विजय ने ये सुझाव इसी वजह से दिया है। उनको पता है कि कांग्रेस का मध्य प्रदेश के चुनावों में सफाया होने जा रहा है। तभी वो इस तरह का प्रस्ताव चुनाव आयोग को दे रहे हैं।