Bihar Elections 2020 में खेती, किसानी और अन्नदाता भी बड़ा मुद्दा माना जा रहा है। शायद यही वजह है कि सूबे की सियासी जंग से पहले एक खास तबके को साधने के लिए बगैर जमीन के ही कोई नेता खुद को किसान करार दे रहा है, जबकि कई पॉलिटीशियंस करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। सबसे हैरत की बात है कि ये नेताओं इस तरह का दावा सार्वजनिक तौर पर तब ठोंक रहे हैं, जब देश के किसान की हालत कुछ अच्छी नहीं है। आम किसान की आय प्रति महीना तीन हजार पांच सौ अट्ठावन (3558) रुपए है।
नेताओं के चुनावी शपथ-पत्रों से पता चला कि बिहार में तीन अमीर नेता अपने आप को अन्नदाता बताते हैं। पहले हैं JD(U) के राजीव लोचन। मोकामा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले नेता की कुल संपत्ति नौ करोड़ नौ लाख बहत्तर हजार रुपए है। इसमें चल संपत्ति अट्ठारह लाख बहत्तर हजार रुपए है, जबकि आठ करोड़ इक्कायनबे लाख रुपए की अचल संपत्ति है।
दूसरे- अजय कुमार सिन्हा हैं। ये RLSP में हैं और अतरी क्षेत्र से नाता रखते हैं। कुल संपत्ति छह करोड़ पिच्चहत्तर लाख पैंतालीस हजार रुपए है, जिसमें पचपन लाख पैंतालीस हजार रुपए की चल संपत्ति है और छह करोड़ 20 लाख रुपए की अचल संपत्ति है।
तीसरे अमीर किसान नेता हैं BJP के रामाधार सिंह। यह औरंगाबाद से आते हैं और इनकी कुल संपत्ति चार करोड़ नवासी लाख पैंसठ हजार पांच सौ निन्यानबे रुपए है। इसमें 80 लाख चौहत्तर हजार पांच सौ निन्यानबे रुपए की चल और चार करोड़ आठ लाख इक्यानबे हजार रुपए की अचल संपत्ति है।
शपथ पत्रों के आधार पर बताया गया कि कुल 42 प्रत्याशियों ने अपना पेशा खेती बताया। पर इनमें से दो (बाढ़ से RLSP के राकेश सिंह और BLRP के मोहम्मद तबरेज अंसारी) ऐसे भी हैं, जिनके जमीन (खेती-किसानी के लिए) तक नहीं है। और तो और, अचल संपत्ति भी नहीं है। इसे इन्होंने शून्य बताया है।
वहीं, अजय सिन्हा की प्रॉपर्टी सबसे अधिक है, जो कि नौ करोड़ नौ लाख बहत्तर हजार रुपए है। शपथ पत्रों के जरिए यह तथ्य भी सामने आया कि 42 कैंडिडेट्स के पास औसत 4.47 एकड़ जमीन है, जबकि संपत्ति 1.25 करोड़ रुपए है। ऐसे में सोचनीय है कि आखिर कैसे ये नेता असल में अन्नदाता का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं?