Araria (Bihar) Lok Sabha Election/Chunav Results 2019 Live News Updates: बिहार के 38 जिलों में अररिया भी आता है, जो कि मौजूदा समय में पूर्णिया डिविजन का हिस्सा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, अररिया की कुल आबादी लगभग 28 लाख छह हजार 200 है, जो कि अमेरिकी राज्य यूटाह या फिर जमैका राष्ट्र के बराबर है। क्षेत्र में 55.1 फीसदी साक्षरता दर है। इंटरनेट पर उपलब्ध आंकड़ों की मानें तो अररिया संसदीय सीट में 56.68 फीसदी हिंदू हैं, जबकि 42.85 प्रतिशत मुस्लिम रहते हैं।
Araria लोकसभा क्षेत्र में Tue, Apr 23, 2019 को चुनाव हुआ था। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से RJD के Tasleem Uddin जीते थे। जीत का अंतर 146504 था। Tasleem Uddin ने BJP के Pradeep Kumar Singh को हराया था। Araria लोकसभा सीट Bihar के संसदीय क्षेत्रों में से एक है। Bharatiya Janata Party ने राज्य की 22 seats सीटों पर जीत हासिल की थी। Bihar में 2014 के आम चुनाव में 56.48 % मतदान हुआ था। चुनाव में 41.03 % वोट पाकर Bharatiya Janata Party नंबर 1 रही थी। Lok Jan Shakti Party (LJP) (6.5) वोट और 6 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर थी, जबकि Rashtriya Janata Dal (RJD) को (20.46) वोट और 4 सीट मिली थी।
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने रिकॉर्ड बहुमत हासिल किया था। कांग्रेस ने 44 सीटों के साथ अब तक की सबसे कमजोर प्रदर्शन किया था। मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने 282 सीटें पाकर अपने दम पर बहुमत पा लिया था। क्षेत्रीय पार्टियों में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और ओड़िशा में नवीन पटनायक का बीजू जनता दल ही मोदी लहर के असर से बेअसर रह पाई थीं।
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सत्ता समाप्ति आते-आते नरेंद्र मोदी का वैसा क्रेज नहीं रह गया, जैसा 2014 में था। 2014 से 2018 के बीच कई राज्यों की विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा। गुजरात जैसे राज्य में भी बीजेपी की जीत आसान नहीं रही। कई साथी दल भी एनडीए का साथ छोड़ गए। जो साथ रहे, उनमें से कई के साथ मतभेद खुल कर सामने आए। बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना खुल कर भाजपा और नरेंद्र मोदी की आलेचना करती रही। हालांकि, आम चुनाव से ऐन पहले सीटों के बंटवारे के साथ दोनों के बीच शांति भी कायम हो गई।
दूसरी ओर, राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर हुआ। 2018 में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से बीजेपी को बेदखल कर कांग्रेस ने सत्ता संभाली। इस जीत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरी और 2019 चुनावों को लेकर उम्मीदों का संचार किया। इस बीच, राहुल गांधी ने बहन प्रियंका को भी राजनीति मेंं औपचारिक दाखिला दिला दिया। उन्होंने उन्हें महासचिव बना कर पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी।
2019 के लोकसभा चुनाव में दो परंपरागत राजनीतिक दुश्मनों (सपा और बसपा) को भी एक होते देखा। उत्तर प्रदेश में ये देनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ रही हैं। इनके साथ अजित सिंह का राष्ट्रीय लोक दल भी है। कांग्रेस इस गठबंधन से बाहर है।
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