निगम चुनाव का डंका राजनीतिक दलों ने बजा दिया है। इन तैयारियों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी पीछे नहीं रहेगी। इसकी शुरुआत आगामी रविवार से प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ के साथ शुरू करेगी। इस बार भाजपा ने दिल्ली भर में 10 हजार जगहों पर यह मन की बात सुनने की योजना तैयार की है ताकि केंद्र सरकार के कामों को आम जनता तक पहुंचाया जा सके।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि इसके लिए सभी जिलों में तैयारियां शुरू कर दी है और मन की बात कार्यक्रम को पार्टी के नेता जनता के बीच रहकर सुनेंगे। इसके बाद आम जनता को दिल्ली की स्थिति भी समझाने की कोशिश की जाएगी ताकि केंद्र व निगम के कामों को जनता तक पहुंचाया जा सके। जिस प्रकार से ‘आप’ सीधे तौर पर केंद्र सरकार पर हमले बोल रही है। उन मामलों को लेकर भी जनता को बताया जाएगा कि किस तरह से केंद्र की योजनाएं दिल्ली तक नहीं मिल पाई है और वर्तमान में आर्थिक संकट के बाद भी निगम कैसे काम कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये छोटे- छोटे वार्ड स्तर के कार्यक्रम होंगे और एक कार्यक्रम 25 से 50 लोगों की संख्या रहेगी। जहां कोरोना संबंधित नियमों का पालन करते हुए मन की बात सुनी जाएगी।
दिल्ली में करीब 13700 बूथ हैं। सूत्रों बताया कि हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सभी 14 जिलों में कामकाज की स्थिति को लेकर भी एक रपट तैयार की है। इस रपट में सबसे पहले झुग्गी बस्तियों की समस्याओं को लेकर आम जनता से चर्चा की गई है। दरअसल ये कॉलोनियां सीधेतौर पर दिल्ली सरकार के शहरी आश्रय बोर्ड (डियूसिब) के अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए पार्टी की तरफ से कॉलोनियों में सफाई, शौचालय व पीने की व्यवस्था को लेकर लोगों से सवाल जवाब किए हैं।
इसके माध्यम से यह जानने की कोशिश की है कि आप पार्टी के कार्यकाल में यहां किस प्रकार से व्यवस्था बदली है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि इन क्षेत्रों में आज भी पीने के पानी और शौचालय आदि की समस्या हैं। निगम उन क्षेत्रों में काम नहीं कर सकता। इसलिए पार्टी आने वाले दिनों में इस मोर्चे पर आप सरकार को घेरने में जुटेंगी।
हाल ही में पार्टी ने हरिद्वार में दिल्ली कोर समिति की बैठक की थी। इस बैठक में पार्टी सूत्र बताते है कि आगामी चुनाव में संगठन की रणनीति की चर्चा रही। यह भी सामने आया है कि पार्टी नेता जिन मुद्दों को सामने ला रहे है। उन्हें पार्टी मंच से ठीक प्रकार रखा जाए। इसमें खासतौर पर पार्टी प्रवक्ता हरीश खुराना के उस मामले का तर्क दिया गया जिसमें जल बोर्ड मामले में अदालत ने नोटिस जारी किया है। इस अपील में जल बोर्ड का आॅडिट किए जाने की मांग की