करीब दो महीने पहले आर्थिक भगोड़े विजय माल्या के ब्रिटेन से भारत में प्रत्यर्पण की उम्मीद मजबूत हो रही थी। तब आई एक खबर के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय का कहना था कि माल्या के प्रत्यर्पण की लगभग सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं और अब उसे कभी भी भारत लाया जा सकता है। इसके बाद यही माना गया कि कूटनीतिक स्तर पर विजय माल्या को भारत वापस लाने की कवायदों का सकारात्मक नतीजा सामने आया है। लेकिन अब भारत में नियुक्त ब्रिटिश उच्चायुक्त सर फिलिप बार्टन ने जो संकेत दिए हैं, उससे यही लगता है कि एक बार फिर माल्या के भारत में प्रत्यर्पण का मामला टल गया है।
पिछले महीने भारत ने ब्रिटेन से कहा था कि वह माल्या के शरण मांगने के किसी अनुरोध पर विचार नहीं करे, क्योंकि इस देश में उसे प्रताड़ित किए जाने के लिए कोई आधार नहीं है। लेकिन अब ब्रिटिश उच्चायुक्त का कहना है कि ब्रिटेन की सरकार भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं कर सकती है। यों उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटेन सरकार अपराधियों को राष्ट्रीय सीमा पार कर न्याय से बच कर नहीं भागने देने के लिए कटिबद्ध है, लेकिन उसे भारत लाए जाने को लेकर जो रुख सामने आया है, वह निराशाजनक है।
हालांकि भारत से भाग कर विजय माल्या के लिए ब्रिटेन में रहना उतना आसान नहीं रहा, जितना पहले उसने सोचा होगा। अब भी वह कानूनों के तहत कठघरे में खड़ा होने से बचने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। धन शोधन और धोखाधड़ी के आरोपों में मुकदमे का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटिश उच्चतम न्यायालय में भी उसने अपील की थी। लेकिन उसमें उसे नाकामी हाथ लगी थी। जाहिर है, यह माल्या के लिए एक बड़ा झटका था। अब भी कुछ कानूनी मसले के हल होने तक ही अपने लिए वह अपने लिए राहत की उम्मीद कर सकता है।
इस मसले पर ब्रिटेन सरकार ने भी साफ कर दिया था कि एक कानूनी मुद्दा है, जिसे उसके प्रत्यर्पण की व्यवस्था किए जा सकने के पहले हल कर लेने की जरूरत है। यानी उसे भारत में लाए जाने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन कुछ कानूनी पेचीदगियों की वजह से देरी हो रही है। फिर भी, जितने समय से प्रत्यर्पण की कवायदें चल रही हैं, उसमें ब्रिटेन की ओर से कोशिश यह होनी चाहिए थी कि अड़चनें कम या खत्म की जाएं।
गौरतलब है कि भारत में बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा रकम डुबो कर ब्रिटेन भागा विजय माल्या मार्च, 2016 से वहीं रह रहा है। अपनी पैठ का इस्तेमाल करके उसने पहले तो भारत में भारी आर्थिक घोटाला किया और जब पकड़े जाने की नौबत आई तो यहां की जांच और खुफिया एजेंसियों की लापरवाही का फायदा उठा कर ब्रिटेन भाग गया।
एक विडंबना यह भी रही कि माल्या के ब्रिटेन भागने के बाद शुरू में ही भारत ने उसके प्रत्यर्पण को लेकर जरूरी सक्रियता नहीं दिखाई। लेकिन अब जब ब्रिटेन में होते हुए भी उस पर शिकंजा कस रहा है तो वहां की कानूनी एजेंसियों को भी वह बरगलाने की कोशिश में है। बचने की जुगत में वह एक बार यहां तक कह चुका है कि डुबोई गई सारी रकम चुकाने के लिए वह तैयार है, मगर उसके खिलाफ चल रहे सारे मुकदमे बंद किए जाने चाहिए। लेकिन अपराध जब कानून के दायरे में आ जाता है, तब उसके लिए निर्धारित सजा ही अंजाम है। अब विदेश में होने से संबंधित कुछ तकनीकी अड़चनों की वजह से देर भले हो रही हो, लेकिन उसका कानून की गिरफ्त से बचना संभव नहीं है।