सऊदी अरब के मदीना में रविवार देर रात को हुई भीषण बस दुर्घटना रोंगटे खड़े कर देने वाली है। इसमें चालीस से अधिक भारतीय जायरीनों की जान चली गई। यह हादसा इतना भयानक था कि बस में सवार यात्री तेल टैंकर से हुई टक्कर के बाद लगी आग में बुरी तरह जल गए। अब उनकी पहचान करना मुश्किल है। हालांकि इस हादसे के कारणों का खुलासा अभी नहीं हुआ है, लेकिन सवाल है कि विदेश में धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों की सुरक्षा का दायित्व किसका है?
हादसे का तर्क जिम्मेदारियों के कई सवालों को पीछे धकेल देता है। मगर यह सच है कि धार्मिक पर्यटन से विभिन्न देश हर वर्ष अच्छी-खासी कमाई करते हैं, तो फिर विदेशी श्रद्धालुओं की यात्रा को सुलभ एवं सुरक्षित बनाने की ओर उनका ध्यान क्यों नहीं जाता है! इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि विभिन्न स्तर पर बरती जाने वाली लापरवाही श्रद्धालुओं की जान पर भारी पड़ सकती है।
दुर्घटना के बाद सबसे बड़ी चुनौती मृतकों की पहचान
खबरों के मुताबिक, मदीना में बस दुर्घटना में जान गंवाने वाले ज्यादातर लोग तेलंगाना के निवासी थे। ये सभी नौ नवंबर को यहां से उमराह के लिए जेद्दा गए थे और उन्हें 23 नवंबर को वापस आना था। इस हादसे के बाद रियाद स्थित भारतीय दूतावास और जेद्दा में वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने सक्रियता दिखाई, लेकिन यही सक्रियता अगर इन भारतीय जायरीनों के सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर पहले दिखाई होती तो शायद इस हादसे से बचा जा सकता था।
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दुर्घटना के बाद सबसे बड़ी चुनौती मृतकों की पहचान को लेकर खड़ी हो गई है। परिजनों को यह मालूम ही नहीं हो पा रहा है कि उनके परिवार के सदस्य जिंदा हैं या नहीं। कहा जा रहा है कि कई परिवारों के चार से सात सदस्य इस बस में सवार थे। राज्य सरकार अब मृतकों के परिवारों से एक-एक व्यक्ति को सऊदी अरब भेजने की तैयारी कर रही है, ताकि शवों की पहचान कर उन्हें भारत वापस लाया जा सके।
हर साल लाखों लोग हज यात्रा के लिए जाते हैं मक्का-मदीना
गौरतलब है कि हर साल दुनिया भर से मुसलिम समुदाय के लाखों लोग हज यात्रा के लिए मक्का-मदीना जाते हैं। सऊदी अरब की सरकार हर देश को उसकी मुसलिम आबादी के हिसाब से एक निर्धारित हज कोटा देती है। इसी कोटे के जरिए तय होता है कि किस देश से कितने लोग इस पाक यात्रा पर जा सकते हैं। एक रपट के मुताबिक, भारत से हर वर्ष 1.75 लाख से ज्यादा लोग हज पर जाते हैं। इसी तरह उमराह के लिए भी हर वर्ष यहां से हजारों लोग मक्का-मदीना जाते हैं।
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हज यात्रा वर्ष में एक बार होती है, जबकि उमराह कभी भी किया जा सकता है। मगर इन जायरीनों के लिए सुरक्षा इंतजामों का अभाव साफ नजर आता है। न तो उनकी यात्रा के लिए कोई विशेष सड़क मार्ग चिह्नित किया जाता है और न ही रास्ते में उनके ठहरने की माकूल व्यवस्था होती है। कायदे से यह भारतीय अधिकारियों की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने देश के नागरिकों की धार्मिक यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए सउदी अरब के संबंधित प्राधिकारियों से नियमित संपर्क में रहें। बहरहाल, मदीना में जो हादसा हुआ है, उसकी हर कोण से जांच की जानी चाहिए। दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए दोनों देशों की सरकारों को गंभीरता दिखानी होगी।
