प्रधानमंत्री की इस बार की अमेरिका यात्रा कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण कही जा सकती है। जबसे डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति का पद संभाला है, वे कई मामलों में काफी आक्रामक नजर आ रहे हैं। खासकर प्रवासियों और व्यापार संबंधों को लेकर। पदभार संभालने के साथ ही जिस तरह उन्होंने भारतीय मूल के अवैध प्रवासियों की पहली खेप बेड़ियों में जकड़ कर वापस भेज दी, उससे कई तरह की चिंताएं जताई जाने लगी थीं। हालांकि प्रधानमंत्री इस बार राजकीय यात्रा पर नहीं गए थे, मगर डोनाल्ड ट्रंप ने उनके साथ पूरी गरमजोशी दिखाई। इस मुलाकात में कई तरह के भ्रम भी दूर हुए।
कुछ लोग कयास लगा रहे थे कि ट्रंप जिस तरह कुछ देशों के साथ व्यापार पर अतिरिक्त शुल्क थोप रहे हैं और अमेरिकी हितों को तरजीह दे रहे हैं, उसमें भारत के साथ भी व्यापार प्रभावित हो सकता है। मगर ट्रंप ने इस कयास को साफ कर दिया। उन्होंने कहा कि जो देश जितना शुल्क लगाएगा, अमेरिका भी उस पर उतना ही शुल्क लगाएगा, न कम न ज्यादा। इसका साथ ही उन्होंने भारत सरकार के इस फैसले की तारीफ की कि उसने अनावश्यक शुल्क हटाना शुरू कर दिया है, जिससे भारतीय बाजार में अमेरिका की पहुंच कुछ और बढ़ेगी।
दोनों देशों ने प्रतिरक्षा, तेल-गैस, नागरिक परमाणु ऊर्जा सहयोग, आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग और प्रतिरक्षा खरीद मामलों ने महत्त्वपूर्ण समझौते किए। अमेरिका भारत को एफ-35 युद्धक विमान बेचने का इच्छुक है। भारत ने इस पर सहमति दे दी है। हालांकि इस संबंध में अभी कोई आधिकारिक हस्ताक्षर नहीं हुए हैं, पर भारत मानता है कि इस विमान की खरीद से उसकी सामरिक शक्ति बढ़ेगी। अमेरिका ने भरोसा दिलाया है कि वह भारत की नागरिक परमाणु ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा और हर सहयोग उपलब्ध कराएगा। वह भारत की तेल और गैस संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा। दरअसल, भारत की चिंता कच्चे तेल की अधिक रहती है। रूस-यूक्रेन और इजराइल-फिलस्तीन संघर्ष के बीच आपूर्ति शृंखला बाधित हुई, तो कच्चे तेल के मामले में भारत ने रूस से सहयोग लेना शुरू कर दिया। अब अमेरिका से इस क्षेत्र में सहयोग मिलेगा, तो निश्चय ही उस पर दबाव कुछ कम होगा।
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत और अमेरिका लंबे समय से सहयोगी रहे हैं। मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को लेकर अमेरिका ने सकारात्मक रुख दिखाया है, उससे दोनों के रिश्ते और प्रगाढ़ हुए हैं। अवैध आप्रवासन को लेकर अमेरिका की चिंता पर भारत ने कहा कि वह अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार है, बेशक उन्हें ससम्मान वापस भेजा जाए। यही नहीं, प्रधानमंत्री ने उन मानव तस्करों के खिलाफ भी कड़े कदम उठाने का वादा किया, जो भारत से लोगों को बरगला या बहला कर दूसरे देशों में ले जाते हैं।
निश्चय ही यह अमेरिका के फैसले के प्रति सकारात्मक रुख है। सबसे अधिक चिंता व्यापार पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चिंता जताई जा रही थी, मगर उस चिंता को दूर करते हुए दोनों देशों ने भरोसा दिलाया है कि वे 2030 तक आपसी व्यापार को दोगुना करेंगे। इससे न केवल दोनों देशों का व्यापार घाटा कम होगा, बल्कि दोनों का बाजार कुछ और विस्तृत होगा। अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में जिस गतिरोध की आशंका जताई जा रही थी, वह समाप्त हो गई है। प्रधानमंत्री की इस यात्रा की यह बड़ी उपलब्धि है।