भारत में पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रही एक महिला की गिरफ्तारी चिंता का विषय है। पाकिस्तान की करतूतें किसी से छिपी नहीं हैं। आतंकवादियों को पालने और सीमा पर तनाव बढ़ाने के साथ एक के बाद एक वह साजिशें रचता रहा है। इसमें वह भारतीय नागरिकों को बहला-फुसला या किसी तरह फंसा कर खुफिया जानकारियां जुटाने का प्रयास करता रहा है। बीते कुछ दशक में उसने अपना यह जासूसी संजाल मजबूत कर लिया है।
‘आपरेशन सिंदूर’ के बाद चलाए गए विशेष अभियान के तहत जिस तरह एक के बाद एक पाकिस्तान के लिए जासूसी कर रहे लोग गिरफ्तार हो रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि उसका संजाल काफी फैला हुआ है। पर सवाल यह भी उठता है कि भारतीय खुफिया एजंसियों की जो सतर्कता अब दिखाई दे रही है, वह पहले क्यों नहीं थी। हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को दुश्मन देश की खुफिया एजंसियां ‘अपने संपर्क’ के तौर पर काफी समय से तैयार कर रही थी।
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हैरानी है कि इसकी भनक भारतीय एजंसियों को इतनी देर से क्यों लगी? इसके अलावा कई भारतीयों का आइएसआइ के संपर्क में आना गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है। एनआइए ने कैथल में एक पाक जासूस को पकड़ा, तो पंजाब पुलिस ने सैन्य जानकारी साझा कर रहे गुरदासपुर के दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अब तो जासूसी की जांच उत्तर प्रदेश के रामपुर तक जा पहुंची है।
ऐसा लगता है कि पहलगाम आतंकी हमले के पहले से पाकिस्तान, भारत में जासूसों का जाल बना रहा था। अगर वह ऐसा कर रहा था, तो इस कड़ी को पकड़ने में चूक कैसे हुई। अगर यह दावा किया जा रहा है कि आतंकी हमले से पहले ज्योति मल्होत्रा पहलगाम गई थी, तो यह निश्चित रूप से गंभीर मामला है और इसकी तह में जाने की जरूरत है। कुछ जासूसों का राजनीतिक संपर्क भी देखा गया है।
डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक की गिरफ्तारी को लोग आज भी नहीं भूले हैं। तब उसकी राजनीतिक गतिविधियों पर सवाल भी उठा था। जासूसों को वीजा कौन और कैसे दिलवाता है, इसकी जांच भी होनी ही चाहिए।