जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से आतंकवादी संगठनों के हमले और उनकी सक्रियता में जिस कदर बढ़ोतरी देखी जा रही है, उससे यह चिंता स्वाभाविक है कि क्या यह समस्या एक बार फिर जटिल शक्ल अख्तियार कर रही है। इतना साफ है कि आतंक के रास्ते भारत में जो मकसद वे हासिल करना चाहते हैं, उसका पूरा होना संभव नहीं है, लेकिन यह भी देखा जा सकता है कि उनके हमलों की रणनीति में जो बदलाव आया है, वह इस समस्या को और गंभीर बना रहा है। आए दिन वहां से अब आतंकी हमलों, उनसे सुरक्षा बलों की मुठभेड़, कुछ आतंकियों का मारा जाना या फिर किसी जवान की शहादत की घटनाएं अक्सर सामने आने लगी हैं।
बीते कुछ वर्षों में पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकी संगठनों ने सुरक्षा बलों के शिविरों पर हमले करने के समांतर लक्षित हमलों की रणनीति अपनाना शुरू कर दिया है। अब इसी क्रम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमले शुरू कर दिए हैं, जिसके पीछे छिपी मंशा स्पष्ट दिखती है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटन या अन्य कारणों से आने वालों के भीतर खौफ पैदा किया जा सके।
कश्मीर में पहलगाम के बैसरन इलाके में मंगलवार को आतंकवादियों ने पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें बीस से ज्यादा लोगों के मारे जाने और कई के घायल होने की खबर आई। दरअसल, जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की भूमिका जगजाहिर रही है। माना जाता रहा है कि इसी वजह से आतंकवादी संगठन पर्यटन स्थलों का रुख करने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, ताकि वहां पर्यटकों का आना-जाना निर्बाध रहे।
अगर देश-दुनिया से वहां घूमने जाने वालों के भीतर डर बैठा, तो वहां की अर्थव्यवस्था पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है। लेकिन इस बार पर्यटकों को निशाना बना कर आतंकियों ने न केवल बाहरी लोगों को डराने, बल्कि वहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर हमला करने की कोशिश की है। इसके अलावा, जुलाई की शुरुआत में अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है और वहां जाने का रास्ता पहलगाम से होकर गुजरता है। ऐसे में आतंकियों के इस हमले को अमरनाथ यात्रा को प्रभावित करने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
पर्यटकों पर गोलीबारी हाल के दिनों में सबसे गंभीर घटना मानी जा रही है, जिसके पीछे मंशा न केवल सुरक्षा बलों और सरकार को चुनौती पेश करना, बल्कि बाहरी लोगों को डराना है। इससे उन्हें अपना एक मकसद यह भी पूरा होने की उम्मीद है कि वे स्थानीय और बाहरी लोगों के भीतर खाई पैदा कर सकेंगे। मगर ऐसे आतंकी हमलों के बाद अब वहां की स्थानीय आबादी के बीच आतंकियों के खिलाफ जिस तरह का आक्रोश देखा जाता है, वह भविष्य के लिए एक उम्मीद जगाता है।
पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की लोकतांत्रिक राजनीति में सक्रिय लगभग सभी दलों और उनके नेताओं ने इसकी तीखी आलोचना की और इसे कायराना हरकत बताया। मगर हकीकत यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का दौर रहा हो या फिर उसके बाद बड़ी जद्दोजहद के बाद शुरू हुई लोकतांत्रिक प्रक्रिया और उसके तहत चुनी हुई सरकार का गठन, आतंकी वारदात पर काबू पाने की कोशिशें नाकाम दिखती हैं। अगर सरकार की ओर से इस मसले पर ठोस और सुचिंतित कार्रवाई नहीं की गई, तो इसके दूरगामी घातक नतीजे सामने आ सकते हैं।