कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु चिकित्सक के साथ बलात्कार और फिर हत्या के मामले में अदालत ने दोषी को आजीवन करावास की सजा सुनाई है। इससे निश्चय ही पीड़ित परिवार और न्याय की मांग कर रहे लोगों को राहत मिली है। इससे बलात्कार जैसे मामलों में त्वरित सुनवाई और फैसले की उम्मीद भी जगी है। पिछले वर्ष अगस्त में अस्पताल के सम्मेलन कक्ष में प्रशिक्षु डाक्टर का शव मिला था। जांच में पता चला कि उसके साथ बलात्कार हुआ था। इसे लेकर काफी हंगामा शुरू हो गया।
शुरूआती छानबीन में ही आरोपी की पहचान कर ली गई थी। फिर देश भर के डाक्टर आंदोलन पर उतर आए, अनेक शहरों में नागरिक संगठनों ने भी विरोध जताया था। कोलकाता में चिकित्सक और नागरिक लगातार इस घटना के विरोध में आंदोलन चलाते रहे। तब इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई थी। जांच में तेजी लाई गई और आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले। उसी आधार पर अदालत ने फैसला सुनाया है। दो महीने से भी कम समय में सुनवाई पूरी करते हुए अदालत फैसले तक पहुंच गई। इससे जाहिर है कि अगर जांच एजंसियां तत्परता दिखाएं और अदालतें बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में संजीदगी से सुनवाई करें, तो न्याय जल्दी मिल सकता है।
बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि की दर बहुत कम
बलात्कार के मामलों में अक्सर देखा जाता है कि दोष सिद्ध नहीं हो पाता। पीड़िता और उसका परिवार न्याय से वंचित रह जाते हैं। बलात्कार के मामलों में दोषसिद्धि की दर बहुत कम है। इसलिए भी ऐसे अपराध करने वालों का मनोबल तोड़ना कठिन होता है। दिल्ली में निर्भया कांड के बाद महिला अपराध संबंधी कानूनों को काफी सख्त बना दिया गया। बलात्कार के मामले में जांच और सुनवाई में तेजी लाने का प्रावधान किया गया। मगर उसका भी कोई अपेक्षित असर नजर नहीं आता। बलात्कार के मामले हर वर्ष कुछ बढ़े हुए ही दर्ज होते हैं।
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आरजी कर अस्पताल की घटना को भी वहां के प्रशासन ने प्राथमिक तौर पर दबाने-छिपाने का ही प्रयास किया था। अगर वहां के चिकित्सा कर्मियों और जागरूक नागरिकों ने आंदोलन तेज न किया होता, तो शायद उस पर भी इतनी जल्दी फैसला न आ पाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने उस आंदोलन के दबाव में आकर ही मामले की निष्पक्ष जांच में सहयोग किया। पीड़ित परिवार ने किसी भी तरह का मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था। उसकी मांग थी कि न्याय मिलना चाहिए। सीबीआइ और दूसरे पक्षकार दोषी को फांसी की सजा की मांग कर रहे थे, मगर अदालत ने बहुत ही सुलझे हुए ढंग से आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
रेप केस की जांच प्रक्रिया और सुनवाई बनी नजीर
आरजी कर प्रशिक्षु चिकित्सक हत्या मामले में अपनाई गई जांच प्रक्रिया और सुनवाई एक नजीर है कि कैसे इस तरह के मामलों को निपटाया जाना चाहिए। ऐसे मामले अक्सर जांच में लापरवाही बरतने और आरोपी के साथ मिलीभगत के कारण बिना उचित न्याय के खत्म हो जाते हैं। जिन मामलों में रसूखदार लोग आरोपी होते हैं, उनमें निष्पक्ष जांच की संभावना कम ही होती है।
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अदालतें चूंकि जांच और सबूतों के आधार पर ही किसी निर्णय पर पहुंचती हैं, मगर जब वही ठीक से नहीं पेश किए जाते, तो मामले धुंधलके में खो जाते हैं। बलात्कार के मामलों में अक्सर उन महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता, जिनके पास योग्य वकील कर पाने का पैसा और प्रशासन पर दबाव बना सकने की क्षमता नहीं होती। इसमें सरकारों की दृढ़ इच्छाशक्ति का होना भी जरूरी है।