कोलकाता प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या मामले में आखिरकार सरकार और प्रदर्शनकारी चिकित्सकों के बीच समझौता हो गया है। मंगलवार को इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई थी। उसके पहले रात को मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन कर रहे कनिष्ठ चिकित्सकों के साथ बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों की सारी मांगें मान लीं। फिर सुप्रीम कोर्ट में कनिष्ठ चिकित्सकों ने काम पर लौटने को लेकर सहमति जता दी। निस्संदेह यह बड़ी राहत की बात है।
सीबीआई की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई संतुष्टि
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था और सीबीआइ से जांच कराने का आदेश दिया था। मंगलवार को सुनवाई में अदालत के तीन जजों की पीठ ने कहा कि वे सीबीआइ की जांच से संतुष्ट हैं और उसमें कई महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं। करीब हफ्ता भर पहले भी सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदर्शन कर रहे कनिष्ठ चिकित्सकों से काम पर लौटने की अपील की थी। मगर वे काम पर नहीं लौटे। अब उनसे बातचीत के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि आंदोलन कर रहे किसी भी कनिष्ठ चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर एक्शन
हालांकि ममता बनर्जी कहती रही हैं कि इस मामले में जो भी कठोर कदम हो सकते हैं, उनकी सरकार उठाएगी। सीबीआइ जांच का प्रस्ताव भी उन्होंने शुरू में ही रख दिया था। कुछ अस्पताल कर्मियों और पुलिस कर्मियों को तभी निलंबित कर दिया गया था। जांच में तथ्यों के मुताबिक कुछ पूर्व अस्पताल कर्मियों के खिलाफ भी शिकंजा कसा गया। अब प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों की मांग पर पुलिस आयुक्त, उपायुक्त और स्वास्थ्य विभाग के दो निदेशकों को भी हटा दिया जाएगा।
चिकित्सकों की सुरक्षा के मद्देनजर अस्पतालों में उनके विश्राम स्थल को सुविधाजनक बनाने, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने जैसे कुछ उपाय किए जाएंगे। इसके अलावा अस्पतालों में निगरानी समिति और शिकायत निवारण समिति के गठन पर भी सहमति बनी है। पश्चिम बंगाल सरकार बलात्कार के मामले में कानून को पहले ही सख्त बना चुकी है। इस तरह लंबे समय तक बाधित रहे अस्पतालों के कामकाज में अब गति आ सकने की स्थिति बनी है।
दरअसल, कोलकाता प्रशिक्षु चिकित्सक प्रकरण इसलिए भी लंबे समय तक उलझा रहा कि उसे सियासी रंग दे दिया गया था। पश्चिम बंगाल सरकार प्रदर्शनकारियों के हक की सुरक्षा करते हुए उनसे बातचीत करने की अपील तो करती रही, मगर वे काफी समय तक बातचीत की मेज पर नहीं आए। इस तरह अस्पतालों का कामकाज बाधित रहा, मरीजों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ा। शुरू में कोलकाता के चिकित्सकों के समर्थन में देश के विभिन्न हिस्सों में डाक्टर हड़ताल पर चले गए थे, उससे व्यापक समस्या पैदा हो गई थी।
मगर सर्वोच्च न्यायालय की अपील पर कोलकाता को छोड़ कर बाकी जगहों के चिकित्सक वापस काम पर लौट गए थे। दरअसल, चिकित्सकों के काम पर न लौटने का खमियाजा नाहक मरीजों को भुगतना पड़ता है। बहुत सारे नाजुक स्थिति में पहुंच चुके मरीजों की जान पर बन आती है। इसलिए कोशिश यही थी कि वे काम पर लौटें। हालांकि चिकित्सकों के रोष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उन्हें अनेक विपरीत परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। सर्वोच्च न्यायालय भी उन स्थितियों से वाकिफ है और कई मौकों पर राज्य सरकारों को उन्हें सुधारने का निर्देश दे चुका है। कोलकाता प्रकरण में हुए समझौते दूसरे अस्पतालों के लिए भी नजीर बनेंगे।