लगा था कि सर्वोच्च न्यायालय की दखल के बाद कोलकाता चिकित्सक बलात्कार और हत्या मामले को लेकर उभरा लोगों का रोष कुछ कम हो जाएगा, मगर वह और बढ़ता जा रहा है। अदालत ने घटना के विरोध में आंदोलन कर रहे चिकित्सकों से काम पर लौटने की अपील की थी। मामले पर कार्रवाई में बरती गई शिथिलता और लापरवाहियों को लेकर पुलिस और चिकित्सालय प्रशासन को फटकार लगाई थी। मगर उससे लोगों का गुस्सा शांत नहीं हो पा रहा। मंगलवार को पश्चिम बंग छात्र समाज ने ‘नवान्न’ अभियान शुरू कर दिया।

पीड़िता को न्याय, मुख्यमंत्री का इस्तीफा और अपराधी को मृत्युदंड है मांग

बताया जा रहा है कि यह छात्रों का गैरराजनीतिक मंच है और इसकी तीन प्रमुख मांगें हैं- पीड़िता को न्याय मिले, मुख्यमंत्री अपने पद से इस्तीफा दें और अपराधी को मृत्युदंड मिले। अब छात्रों के विरोध में कुछ सरकारी कर्मचारी संगठनों ने भी अपना स्वर मिला दिया है। उधर भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को बारह घंटे के बंगाल बंद का आह्वान किया था, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच कई जगह झड़पें भी हुईं। ऐसे वातावरण में राष्ट्रपति ने भी अपने संबोधन में कहा कि अब समय आ गया है कि बेटियों पर अत्याचार को सहन न किया जाए। किसी भी हाल में महिलाओं का उत्पीड़न रुकना चाहिए।

स्वाभाविक ही इस विरोध प्रदर्शन से ममता बनर्जी सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हालांकि इस मामले पर सियासी बयानबाजियां भी तेज हो गई हैं। ममता बनर्जी इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे भाजपा का हाथ बता रही हैं और उनका आरोप है कि केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। विपक्षी गठबंधन के नेता भी इसमें सियासी रंग घोल रहे हैं। इस तरह कोलकाता बलात्कार और हत्या प्रकरण में अब असल मुद्दे पर कार्रवाई से अधिक राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है।

हालांकि इस घटना को बीस दिन हो गए और शुरू में ही ममता बनर्जी ने इस पर सख्त रुख अख्तियार कर लिया था। आरोपी को फौरन गिरफ्तार कर लिया गया, लापरवाही बरतने वाले अस्पताल प्रशासन के खिलाफ भी कार्रवाई कर दी गई। मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय लगातार इस मामले पर नजर बनाए हुए है। आरोपी के सच से सामना कराने से कुछ तथ्य सामने आने की उम्मीद बनी हुई है। मगर लोगों की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही, तो इसकी कुछ वजहें साफ हैं। अभी तक अनेक आपराधिक मामलों में ममता बनर्जी सरकार का रवैया संतोषजनक नहीं देखा गया है। उन सबका मिलाजुला, लंबे समय से जमा रोष इस घटना के बाद फूट पड़ा है।

कोलकाता चिकित्सक बलात्कार और हत्या कांड को लेकर पूरे देश में आक्रोश प्रकट हुआ है, तो उसके पीछे भी बड़ी वजह महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बरती जा रही शिथिलता है। राष्ट्रपति के बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत है कि निर्भया कांड के बारह बरस बाद भी ऐसे जघन्य अपराध रुकने का नाम नहीं ले रहे। मगर जब तक सरकारें राजनीतिक नफे-नुकसान से ऊपर उठ कर इस दिशा में सामूहिक प्रयास से कोई व्यावहारिक और कारगर कदम नहीं उठाएंगी, तब तक ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल बना रहेगा। ममता बनर्जी को इसे राजनीतिक रस्साकशी का मुद्दा बनाने के बजाय लोगों को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं और बलात्कार तथा हत्या मामले में न्याय दिलाने का हर प्रयास करेंगी।