अस्पतालों में महिला चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा को लेकर अनेक बार सवाल उठते रहे हैं। खासकर रात के वक्त उनकी सुरक्षा के विशेष प्रबंध की जरूरत रेखांकित की जाती है। मगर इस तकाजे पर गंभीरता से ध्यान कम ही दिया जाता है। इसी का नतीजा है कि सेवा के समय अक्सर महिला स्वास्थ्य कर्मियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ जाती हैं। कोलकाता के एक सरकारी मेडिकल कालेज में प्रशिक्षु चिकित्सक की हत्या इसकी एक कड़ी है।
सीएम ममता बनर्जी ने अपनाया है कड़ा रुख
प्राथमिक जांच से पता चला है कि उस चिकित्सक का बलात्कार किया गया और फिर उसे मार डाला गया। उसका शव अस्पताल के सम्मेलन कक्ष में पाया गया। शव परीक्षा में उसके शरीर पर जगह-जगह गंभीर चोटें पाई गई हैं। हालांकि अस्पताल के कैमरों से मिली तस्वीरों के आधार पर एक संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले पर खासा सख्त रुख जाहिर किया है, मगर इस घटना को लेकर अस्पताल कर्मियों और चिकित्सा छात्रों का रोष कम नहीं हो रहा।
घटना की जांच के लिए सरकार ने सात सदस्यों का विशेष जांच दल नियुक्त कर दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर पीड़िता के परिजन चाहें तो वे इसकी सीबीआइ जांच के आदेश भी देने को तैयार हैं। मगर सवाल है कि आखिर इस तरह का साहस किसी में आया कैसे, कि उसमें कानून का जरा भी भय पैदा क्यों नहीं हुआ। अगर कानून-व्यवस्था का खौफ होता और अस्पताल प्रशासन मुस्तैद रहता, वहां सुरक्षा इंतजाम पुख्ता होते, तो ऐसी वारदात होने ही न पाती।
अच्छी बात है कि सरकार इस मामले पर किसी तरह की लीपापोती करने का प्रयास नहीं कर रही है, मगर सवाल है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर वहां इतनी लचर व्यवस्था क्यों है कि ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। यह केवल किसी अस्पताल तक सीमित समस्या नहीं है। सामान्य रूप से भी घर से बाहर निकलते वक्त महिलाएं सशंकित रहती हैं कि उनके साथ कुछ अनहोनी न घट जाए। अगर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सचमुच महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें इस दिशा में व्यावहारिक कदम उठाने का प्रयास करना चाहिए।