पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े घोटाले में लगभग तेरह हजार करोड़ रुपए की भारी राशि का गबन करने वाला एक आरोपी मेहुल चोकसी जब देश छोड़ कर भाग निकला था, तभी यह आशंका थी कि उसने किसी बड़ी योजना के तहत ही एंटीगुआ की शरण ली है। हालांकि इस बीच केंद्र सरकार लगातार यह दावा करती रही कि आर्थिक घोटाले के उन आरोपियों को जल्दी ही न्याय के कठघरे में खड़ा करेगी जो घोटाला करके देश छोड़ कर भाग गए। लेकिन सच यह है कि इस तरह के मामलों में सरकार एक तरह से लाचार नजर आ रही है। यों बीते हफ्ते चोकसी ने तकनीकी रूप से भारत की नागरिकता छोड़ दी थी, तभी उसके वापस लाए जाने की उम्मीद धुंधली हो गई थी। अब एंटीगुआ की सरकार ने भी साफतौर पर मेहुल चोकसी को भारतीय अधिकारियों को सौंपने से इनकार कर दिया है। वहां के अधिकारियों ने साफ लहजे में कहा कि चोकसी ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी है और अब वह एंटीगुआ का नागरिक है। ऐसे में एंटीगुआ उनके वे सभी अधिकार सुनिश्चित करेगा, जो वहां के नागरिक को होने चाहिए। एंटीगुआ के ताजा रुख के बाद इस बात की संभावना और कमजोर हुई है कि मेहुल चोकसी को भारतीय कानून के कठघरे में खड़ा किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि चोकसी के प्रत्यर्पण के मसले पर भारतीय जांच एजेंसियों का आवेदन एंटीगुआ की अदालत में विचाराधीन है। इसलिए अब अगर भारत राजनीतिक या राजनयिक स्तर पर चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए एंटीगुआ से संवाद करता है तो उसका हासिल शायद बड़े महत्त्व का न हो। खुद एंटीगुआ के प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बड़े अधिकारी ने मामले अदालत में होने की वजह से राजनीतिक या राजनयिक स्तर पर किसी फैसले की संभावना से इनकार किया है। यानी पहले मेहुल चोकसी के विधिवत भारत की नागरिकता छोड़ने और अब उसे भारत को सौंपने से एंटीगुआ के इनकार के बाद उसे यहां लाने की कोशिशों को बड़ा धक्का पहुंचा है। यह किसी से छिपा नहीं है कि अगर कोई भारतीय नागरिक अपराध को अंजाम देने के बाद विदेश भाग जाता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए उसे वहां से वापस लाने का काम एक जटिल प्रक्रिया से गुजरता है। वहीं नागरिक अगर विदेशी है, तो उसे भारतीय कानून के कठघरे में लाने की प्रक्रिया ज्यादा मुश्किल है और इसमें संबंधित देश की इजाजत की जरूरत पड़ती है।
जाहिर है, मेहुल चोकसी ने अब एंटीगुआ की नागरिकता लेकर अपने लिए इसी सुरक्षा का इंतजाम किया है। लेकिन सवाल है कि आज वह भारतीय कानून की जद से इतना दूर कैसे हो गया? आखिर एंटीगुआ की नागरिकता हासिल करने के लिए चोकसी ने मुंबई के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से पुलिस का प्रमाण-पत्र हासिल किया, तो उसके लिए कौन जिम्मेदार है? आज अगर विजय माल्या, नीरव मोदी या मेहुल चोकसी जैसे आर्थिक भगोड़ों के मामले में सरकार लाचार दिखाई पड़ रही है तो इन मामलों में लापरवाही और व्यापक अनदेखी के लिए कौन जिम्मेदार है? किसी भी व्यक्ति के विदेश जाने से पहले उसकी जांच-पड़ताल की जाती है। सवाल है कि देश के हजारों करोड़ रुपए लेकर विदेश भागने वाले मेहुल चोकसी और दूसरे घोटालेबाजों को किसका संरक्षण हासिल था कि उन्होंने पकड़े जाने से पहले ही अपने लिए सुरक्षित घेरा बना लिया! अब भले ही एंटीगुआ ने चोकसी को सौंपने से इनकार कर दिया हो, लेकिन सरकार को अब कोई दूसरा रास्ता निकाल कर तमाम आर्थिक भगोड़ों को वापस लाना चाहिए और उनके सहित उन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।