आश्रय-गृहों में लड़कियों के साथ यातनापूर्ण व्यवहार, दैहिक शोषण और उनके रहस्यमय तरीके से गायब होने की खबरें समय-समय पर विभिन्न शहरों से मिलती रहती हैं। दिल्ली के एक आश्रय-गृह से नौ लड़कियों के लापता होने की घटना उसी की एक कड़ी है। हालांकि दिल्ली में यह पहली घटना नहीं है। बाल सुधार-गृहों से भी बच्चों के भाग निकलने या गायब होने की घटनाएं होती रहती हैं। हालांकि ताजा घटना पर गंभीरता दिखाते हुए दिल्ली सरकार ने तत्काल संबंधित जिलाधिकारी और आश्रयगृह के अधीक्षक को निलंबित करने का आदेश दे दिया। गौरतलब है कि ये सभी लड़कियां मानव तस्करी और यौन शोषण की शिकार थीं। उन्हें बाल कल्याण समिति के आदेश से द्वारका के एक आश्रय-गृह से दिलशाद गार्डन स्थित इस आश्रय-गृह में भेजा गया था। इनके लापता होने की जानकारी आश्रय-गृह चलाने वालों को एक दिन बाद मिली। इस संबंध में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। मगर इस मामले में कितनी कामयाबी मिल पाएगी, देखने की बात है।
जिस आश्रय-गृह से नौ लड़कियां गायब हुर्इं, उसमें अनियमितता की शिकायत दिल्ली की एक बाल कल्याण समिति ने पहले भी की थी। वहां लड़कियों के साथ बदसलूकी की जाती थी। पिछले दिनों जिस तरह बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न बालिका और आश्रय-गृहों में लड़कियों के साथ बर्बर व्यवहार, यौन उत्पीड़न संबंधी खुलासे हुए उससे अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि दिल्ली के संबंधित आश्रय-गृह के संचालकों का बर्ताव उससे अलग नहीं रहा होगा। मानव तस्करी के जरिए बहुत सारी लड़कियों को यौन व्यापार में लगा दिया जाता है। बहुत सारी लड़कियों को दूसरे देशों में घरेलू नौकर आदि के रूप में बेच दिया जाता है। उन्हीं में से जब स्वयंसेवी संगठन कुछ लड़कियों को छुड़ाते हैं, तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत बालिका आश्रय-गृहों में भेज दिया जाता है। इनमें से बहुत सारी लड़कियां इसलिए अपने घर नहीं लौटना चाहतीं कि इनके साथ पहले ही इतना बुरा व्यवहार हो चुका होता है कि उन्हें आशंका रहती है कि उनके घर वाले उन्हें स्वीकार करेंगे या नहीं। आश्रय-गृह एक तरह से ऐसी लड़कियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। मगर जब वही आश्रय उनकी असुरक्षा का कारण बनते हैं, तो उनका जीना दुश्वार हो जाता है। छिपी बात नहीं है कि जिस जहालत से निकाल कर उन्हें आश्रय-गृहों में डाला गया होता है, वे खुद उन्हें उसी जहालत में डालने का प्रयास करते हैं। ऐसे में कई लड़कियां वहां से भाग कर मुक्ति पाना चाहती हैं।
दिल्ली के दिलशाद गार्डन आश्रय-गृह से लापता लड़कियों के साथ क्या सलूक किया जाता था, यह तो जांच से पता चलेगा, पर शुरुआती ब्योरों से जाहिर है कि वहां की गतिविधियां संदिग्ध रही हैं। यह आशंका भी निर्मूल नहीं है कि कहीं वे लड़कियां फिर से मानव तस्करों और यौन व्यापार कराने वाले किसी गिरोह के चंगुल में तो नहीं फंस गर्इं! यह दलील पुरानी है कि आश्रय-गृहों को उचित धन न मिल पाने की वजह से वे उसमें पनाह पाए बच्चों पर उचित निगरानी नहीं रख पाते। ऐसी तमाम घटनाओं में पाया गया है कि आश्रय-गृहों की संदिग्ध गतिविधियों, उनके बर्बर व्यवहार के चलते ही बच्चे वहां से भागते या लापता होते हैं। इसलिए सिर्फ सुरक्षा इंतजामों की कमजोरी की आड़ लेकर उनके दोषों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आश्रय-गृहों पर नजर रखने और उनकी जवाबदेही तय करने के लिए कड़े उपायों की जरूरत है।