सड़कें और रेल पटरियां किसी भी देश की विकास रेखा मानी जाती हैं। यही आधारभूत ढांचे का सबसे मजबूत पक्ष होती हैं। इसलिए हर देश द्रुतगामी मार्गों और रेल पटरियों के विकास तथा विस्तार पर विशेष ध्यान देता है। जम्मू-कश्मीर की चिनाब नदी पर बने मेहराबदार पुल को इसी अर्थ में देखा जा सकता है। जम्मू-कश्मीर अभी तक देश के रेल संजाल से कटा हुआ था। इस पुल के चालू हो जाने के बाद वह भी देश की मुख्यधारा रेल यातायात से जुड़ गया है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा पुल है, एफिल टावर से भी ऊंचा। इसे बनाना निस्संदेह बड़ी चुनौती थी।

जिस इलाके में इसे बनाया गया है, वह भूकम्प की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। यहां हर समय भूकम्प का खतरा बना रहता है। फिर, ऊंचाई अधिक होने के कारण इस पर पड़ने वाले वायुदाब और मौसम के प्रकोप से बचाव के उपाय करना भी कठिन था। मगर काबिल अभियंताओं ने इन तमाम चुनौतियों को स्वीकार किया और एक मिसाल के रूप में इसे खड़ा कर दिया। इसे बनाने में लंबा समय लग गया। इस दौरान कई तरह की अड़चनों का भी सामना करना पड़ा। मगर अब इसके बन कर तैयार हो जाने से अनेक कठिनाइयां दूर हो जाने की उम्मीद जगी है।

रेल मार्गों का विकास औद्योगिक उन्नति के लिहाज से बहुत जरूरी

हालांकि कश्मीर और लद्दाख सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़े हैं। इन क्षेत्रों में नई सुरंगें बन जाने से सड़कों पर वाहनों की गति भी बढ़ गई है, मगर पहाड़ी क्षेत्रों में सड़कों के जरिए आवागमन उस तरह कभी आसान और सुविधाजनक नहीं रहता, जिस तरह रेल पटरियों से होता है। रेल मार्ग के जरिए न केवल मुसाफिरों की आवाजाही सुगम हो जाती है, बल्कि माल ढुलाई में बहुत आसानी होती है। रेल मार्गों का विकास औद्योगिक उन्नति के लिहाज से बहुत जरूरी माना जाता है।

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इस अर्थ में चिनाब पुल के खुल जाने से कश्मीर में औद्योगिक विकास और रोजी-रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावनाएं खुल गई हैं। वहां के हस्तशिल्प और कृषि उत्पाद अब आसानी से देश के बाजारों तक पहुंच सकेंगे। जो कश्मीरी युवा और बहुत सारे स्थानीय लोग आमतौर पर पर्यटन पर निर्भर थे और वर्ष के कुछ महीनों में ही कारोबार कर पाते थे, उन्हें अब पूरे साल कारोबार का अवसर मिल सकेगा। स्वाभाविक ही, इस तरह वहां बेरोजगारी कम होगी और जो युवा आतंकी संगठनों के बरगलाने से गुमराह हो जाया करते थे, उन्हें तरक्की का रास्ता नजर आएगा।

कश्मीर घाटी और लद्दाख तक सैन्य साजो-सामान और सैनिकों की पहुंच होगी तेज

चिनाब पुल शुरू हो जाने के बाद इस पर तेज रफ्तार गाड़ियों की आवाजाही बढ़ेगी, तो वहां सैलानियों का पहुंचना भी तेज होगा। पाकिस्तान की कोशिश रही है कि कश्मीर को किसी तरह भारत के दूसरे हिस्सों से अलग-थलग रखा जाए। इस तरह चिनाब पुल एक तरह से उसकी कोशिशों पर पानी फेरने में मददगार होगा। दूसरी बात कि यह पुल बन जाने से कश्मीर घाटी और लद्दाख तक सैन्य साजो-सामान और सैनिकों की पहुंच तेज हो जाएगी।

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अभी रोज ही लगभग पूरा दिन लगा कर सैन्य टुकड़ियां श्रीनगर से जम्मू और जम्मू से श्रीनगर पहुंचती हैं। प्रधानमंत्री ने पुल के साथ-साथ तेज रफ्तार वंदेभारत गाड़ी को भी हरी झंडी दिखाई। यानी अब बहुत कम समय में श्रीनगर तक पहुंचना संभव हो गया है। इस तरह यह पुल न केवल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत शाहकार, बल्कि तरक्की की नई राह खोलने का माध्यम भी बन गया है।