आतंकवाद वैश्विक स्तर पर शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। आतंकी अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए साजिशों के नए-नए जाल बुनते हैं, जिन्हें भेद पाने में सुरक्षा एजंसियों को भी कड़ी चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। सुरक्षा एजंसियों को इसी तरह के एक अंतरराज्यीय आतंकी संजाल का भंडाफोड़ करने में सफलता मिली है, जिसमें आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस साजिश की भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आरोपियों के ठिकानों से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक और हथियार बरामद किए गए हैं। यानी वे किसी बड़े खौफनाक हमले को अंजाम देने की फिराक में थे।

पुलिस का दावा है कि आतंकियों का यह तंत्र पाकिस्तान की धरती से संचालित होने वाले जैश-ए-मोहम्मद और आइएसआइएस से संबंधित अंसार गजवातुल-हिंद से जुड़ा हुआ था, जो जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सक्रिय था। सवाल है कि इस गिरोह से जुड़े लोग इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक पदार्थ और हथियार जमा करने में कैसे कामयाब हो गए? सुरक्षा और खुफिया एजंसियों को इनकी गतिविधियों की भनक पहले क्यों नहीं लग पाई?

फरीदाबाद के मकान से 360 किलोग्राम ज्वलनशील पदार्थ बरामद

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पुलिस तथा केंद्रीय एजंसियों के साथ विशेष अभियान चलाकर इस आतंकी तंत्र का पर्दाफाश किया है। खास बात यह है कि इस गिरोह के जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया, उनमें एक विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षक और एक चिकित्सक भी शामिल हैं। साफ है कि आतंकी संगठन पढ़े-लिखे लोगों को भी अपने साथ जोड़ रहे हैं, ताकि किसी हिंसक वारदात को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जा सके। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों में से एक के दिल्ली से सटे फरीदाबाद स्थित किराए के मकान से 360 किलोग्राम ज्वलनशील पदार्थ बरामद किया गया है।

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सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में इतने बड़े पैमाने पर ज्वलनशील पदार्थ का मिलना कई सवाल खड़े करता है। एनसीआर में जगह-जगह पुलिस की ओर से सुरक्षा नाके लगाए गए हैं, इसके बावजूद विस्फोटक पदार्थ की इतनी बड़ी खेप आखिर वहां कैसे पहुंचाई गई? क्या खुफिया और सुरक्षा एजंसियों की जांच का व्यवस्थागत तंत्र इतना कमजोर है कि वह वास्तविक समय पर आपराधिक गतिविधियों को पकड़ पाने में सक्षम नहीं है?

गिरफ्तार आठ में से सात कश्मीर और एक उत्तर प्रदेश का निवासी

गिरफ्तार किए गए आठ लोगों में से सात कश्मीर के हैं, जबकि एक उत्तर प्रदेश का निवासी है। सुरक्षा अधिकारियों का दावा है कि जांच में दो आरोपियों के मोबाइल फोन में पाकिस्तान के कई नंबर पाए गए हैं। जाहिर है कि वे पाकिस्तान में अपने आकाओं के संपर्क में थे। यह सवाल भी महत्त्वपूर्ण है कि गिरफ्तार सभी आरोपी स्थानीय हैं, मगर उनके पास चीनी स्टार पिस्तौल, एके-56 एवं एके क्रिंकाव राइफल जैसे हथियार और इतने बड़े पैमाने पर विस्फोटक पदार्थ कहां से आए? प्रारंभिक जांच में यह बात भी सामने आई है कि धन का लेन देन करने और साजो-सामान की व्यवस्था के लिए यह गिरोह गुप्त माध्यमों का इस्तेमाल कर रहा था।

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सामाजिक और धर्मार्थ कार्यों की आड़ में पेशेवर तथा शैक्षणिक तंत्र के जरिए धन जुटाया जाता था। मगर ऐसा कैसे संभव हुआ कि खुफिया और सुरक्षा एजंसियों को इसकी पहले कोई भनक नहीं लग पाई। जाहिर है कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था में कहीं कहीं न खामियां व्याप्त हैं, जिन्हें दुरुस्त किए जाने की जरूरत है।