फिलहाल दुनिया में प्रत्यक्ष आतंकी हमलों का जोर अपेक्षया कम जरूर हुआ है, लेकिन यह अन्य स्वरूपों में अपने पांव फैला रहा है। आतंकवाद के आक्रामक दौर में दुनिया ने देखा है कि कैसे नाहक ही निर्दोष और मासूम लोगों का कत्लेआम करके आतंकी संगठन अपना बेमानी मकसद पूरा करते रहे हैं।

इसके बाद बहुत सारे देशों ने अपने-अपने स्तर पर नीतिगत से लेकर व्यावहारिक मोर्चों पर ठोस कदम उठाए, आतंकियों के लिए जगह खत्म करने की कोशिश की। शायद इसी वजह से आतंकवादी संगठनों ने अब अपनी रणनीति बदली है। स्वाभाविक ही वैश्विक स्तर पर आज भी आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रयास जारी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के संगठनों में इस मसले पर संकल्प लिए जाते हैं।

खासतौर पर भारत इस समस्या से किस हद तक एक पीड़ित देश रहा है, यह किसी से छिपा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमूमन सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत ने आतंकवाद की गहराती समस्या के खिलाफ बार-बार आवाज उठाई है और इसके लिए जिम्मेदार आतंकी संगठनों और इन्हें पनाह देने वाले देशों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।

अब दक्षिण अफ्रीका में आयोजित पांच ‘ब्रिक्स’ देशों के सम्मेलन में एक बार फिर आतंकी वित्त पोषण और आतंकवादियों के पनाहगाहों से निपटने का संकल्प जाहिर किया गया है। इस सम्मेलन में भारत ने साफतौर पर अपनी धमक दर्ज की और कहा कि भारत अब वह देश नहीं रहा जो अपेक्षाकृत धीमी गति से घिसट कर चलता था। यों भी हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने कई स्तर पर कूटनीतिक कामयाबियों का सफर तय किया है।

इस लिहाज से देखें तो भारत ने ब्रिक्स सम्मेलन में भी दो स्तर पर अपनी मजबूत दखल दी। पहला ब्राजील, भारत, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बने ‘ब्रिक्स’ में न केवल भारत की अहमियत फिर दर्ज हुई, बल्कि उसके मुख्य संकल्पों में से एक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की तैयारी को भी इसके संकल्प शामिल कराया गया। इन देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में साफ कहा गया है कि वे आतंकवाद के सभी स्वरूपों और तरीकों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें आतंकवादियों के सीमा पार आवागमन, आतंकवाद के वित्त पोषण के नेटवर्क और सुरक्षित पनाहगाह के खिलाफ कार्रवाई की बात शामिल है।

यों आतंकवाद ने कई देशों को किस तरह और कितना तबाह किया है, वह छिपा नहीं है। लेकिन भारत उन सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल हैं, जहां आतंकवादी संगठनों ने योजनाबद्ध तरीके से अपनी मंशा को अंजाम दिया। हालांकि आतंकवाद के सफाए के लिए भारत ने जो अभियान चलाए, उसी का नतीजा है कि अब आतंकवादियों के हौसले पस्त दिखते हैं।

लेकिन विश्व भर में आतंकवादी संगठनों के काम करने के जो तौर-तरीके हैं, उस पर नजर रखना और उनकी बदलती रणनीति के मुताबिक तैयार होना सावधानी के लिहाज से जरूरी है। दक्षिण अफ्रीका से पहले भी ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए थे। कुछ साल पहले चीन में हुए सम्मेलन में तो साफतौर पर पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले कुछ संगठनों का नाम लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी।

विडंबना यह है कि इस मसले पर पाकिस्तानी जमीन से छिप कर काम करने वाले आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सख्ती बरतना पाकिस्तान को कभी जरूरी नहीं लगा। हालांकि आए दिन वह खुद भी आतंकी हमलों का शिकार होता रहा है और वहां भी मासूम लोग मारे जाते रहे हैं। अब देखना है कि ब्रिक्स देशों के ताजा सम्मेलन में लिए गए संकल्प के बाद जमीन पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कितना ठोस स्वरूप मिल पाता है।