रक्षा, नागर विमानन और बैंकिंग सहित पंद्रह क्षेत्रों में विदेशी निवेश से संबंधित नियम-कायदों को और उदार बनाने के सरकार के फैसले को 1991 से आर्थिक सुधार के नाम से शुरू हुए उदारीकरण के बड़े कदमों में हमेशा गिना जाएगा। अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में एफडीआइ की इजाजत देने या उसकी सीमा बढ़ाने का निर्णय एक-एक करके थोड़े-थोड़े अंतराल पर होता रहा है। ताजा फैसला इस लिहाज से अपूर्व है कि एक ही दिन में अर्थव्यवस्था के इतने अधिक क्षेत्रों में एफडीआइ का दायरा बढ़ाने और उसकी प्रक्रिया अधिक आसान बनाने की घोषणा की गई। दूसरी खास बात यह है कि मोदी सरकार ने यह कदम ऐसे वक्त उठाया जब कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि बिहार चुनाव के नतीजों से कहीं आर्थिक सुधार प्रभावित न हों। यहां तक कि खुद केंद्र के एक-दो मंत्रियों ने भी ऐसी टिप्पणी की थी।

एफडीआइ संबंधी घोषणा ने इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया है। यह भी गौरतलब है कि अनेक क्षेत्रों में पहले से अधिक एफडीआइ की मंजूरी देने का एलान प्रधानमंत्री की ब्रिटेन यात्रा से ऐन पहले किया गया। जाहिर है, ब्रिटेन पहुंचने से पहले मोदी ने एक बार फिर प्रमुखता से यह जताना चाहा होगा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता क्या है। अर्थव्यवस्था के उदारीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने बैंकिंग, नागर विमानन, रक्षा, एकल ब्रांड खुदरा, निर्माण और समाचार प्रसारण आदि पंद्रह क्षेत्रों में एफडीआइ नियमों में ढील दी है। निजी क्षेत्र के बैंकों में एफडीआइ सीमा चौहत्तर फीसद तक करना एक अहम कदम है। डीटीएच, केबल नेटवर्क और बागवानी फसल के मामले में सौ फीसद एफडीआइ की अनुमति दी गई है, वहीं टीवी चैनलों के समाचार तथा समसामयिक विषयों के अपलिंकिंग मामले में विदेशी निवेश की सीमा छब्बीस फीसद से बढ़ कर उनचास फीसद हो गई है। रीयल एस्टेट के क्षेत्र में न्यूनतम पूंजी और फ्लोर एरिया की शर्त हटा ली गई है।

रीयल एस्टेट में विदेशी निवेश के लिए पहले न्यूनतम पचास हजार वर्ग मीटर फ्लोर एरिया की शर्त थी। फिर उसे घटा कर बीस हजार वर्ग मीटर किया गया था, अब यह शर्त भी हटा ली गई है। इसके साथ ही, कारोबार शुरू करने से छह महीने के भीतर कम से कम पचास लाख डॉलर पूंजीकरण की जो शर्त थी वह भी हटा ली गई है। यही नहीं, रीयल एस्टेट में सरकार ने विदेशी कंपनियों के बाहर निकलने के नियम भी आसान कर दिए हैं। तीन साल के बाद निवेशक परियोजना से निकल सकते हैं। अलबत्ता होटल, टूरिस्ट रिसॉर्ट, अस्पताल, विशेष आर्थिक क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थान और अनिवासी भारतीयों द्वारा किए गए निवेश पर यह छूट लागू नहीं होगी। एक समय भाजपा रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ को शक की नजर से देखती थी।

पर अब उसकी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआइ की स्वत: मंजूरी की सीमा बढ़ कर उनचास फीसद कर दी है। इससे ज्यादा निवेश की अनुमति विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के जरिए लेनी होगी। दिवाली की पूर्व संध्या पर लिए गए एफडीआइ संबंधी फैसले के जरिए सरकार ने एक तरह से निवेशकों को त्योहार का तोहफा दिया है। बहरहाल, कंपनियों के दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के नतीजे भी पांच दिन तक सेसेंक्स में हुई लगातार गिरावट का एक प्रमुख कारण थे। लिहाजा, इस पर भी विचार करना जरूरी है कि क्या एडीआइ-नियमों को और ढीला करना ही काफी है?