देश की राजधानी होने के नाते उम्मीद की जाती है कि दिल्ली में कानून व्यवस्था बाकी जगहों के मुकाबले ज्यादा चाक-चौबंद होगी, ताकि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोग दुस्साहस करने से खौफ खाएं। मगर हकीकत यह है कि यहां आए दिन जघन्य अपराधों की घटनाएं भी एक चिंताजनक स्वरूप में सामने आ रही हैं। ऐसा लगता है कि बेहद मामूली बात पर आक्रामक हो जाने वाले लोगों के भीतर न तो धीरज और विवेक है और न उन्हें पुलिस या कानूनी कार्रवाई का कोई खौफ है।
वरना क्या वजह है कि साधारण बातों पर भी कुछ लोग इस कदर हिंसक हो जाते हैं कि वे किसी की हत्या तक कर डालते हैं। दिल्ली में निजामुद्दीन इलाके के जंगपुरा भोगल बाजार में एक व्यक्ति ने सिर्फ अपने दरवाजे के सामने से स्कूटी हटाने के लिए कहा और इतनी-सी बात पर दो सगे भाइयों ने धारदार हथियार से उस पर हमला कर दिया, जिससे उसकी जान चली गई। इस घटना में एक तथ्य यह भी है कि मृतक युवक अभिनेत्री हुमा कुरैशी का चचेरा भाई था। मगर इससे अपराध की प्रकृति में कोई फर्क नहीं पड़ा।
पुलिस की जांच के बाद अपराध की मंशा आएगी सामने
पीड़ित परिवार का कहना है कि आरोपियों ने कुछ दुराग्रहों की वजह से सोच-समझ कर मृतक को निशाना बनाया था। संभव है कि पुलिस की जांच के बाद अपराध की मंशा स्पष्ट होकर सामने आए। यों पिछले कुछ समय में ऐसी अनेक घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें स्कूटी हटा लेने या अन्य बेहद मामूली-सी बात के लिए किसी व्यक्ति की हत्या कर दी गई। यह विडंबना आज एक हकीकत बन चुकी है कि किसी अनदेखी करने लायक बात पर भी दो पक्षों में हिंसक टकराव हो जाता है।
फिर आवेश में आकर हत्या करने का आरोपी जब पुलिस की गिरफ्त में आता है और अगर न्याय सुनिश्चित हो पाता है, तब उसकी जिंदगी भी सींखचों के भीतर कटती है। जाहिर है, यह साधारण स्थितियों में विवेक खो देने का नतीजा है, जिसमें कोई व्यक्ति यह सोचने लायक तक नहीं रह जाता है कि क्या किसी छोटी बात पर इतना आक्रामक और बेलगाम होना ठीक है या फिर आपराधिक घटना के बाद जब कानून अपना काम करेगा, तब उन्हें किस स्थिति का सामना करना पड़ेगा। अफसोस की बात यह है कि पुलिस और कानूनी कार्रवाई का भय ऐसे अपराधों पर लगाम कसने के मामले में नाकाम दिखता है।