जम्मू-कश्मीर में कुलगाम के अखल इलाके में आतंकियों के साथ सुरक्षा बलों की मुठभेड़ को पिछले कई वर्षों के दौरान सबसे लंबा आतंकरोधी अभियान माना जा रहा है। निश्चित रूप से सुरक्षा बलों ने अलग-अलग स्तर पर आतंकियों की घेराबंदी की है, लेकिन अफसोस की बात है कि इस मुठभेड़ में दो जवानों के शहीद होने और कम से कम दस के घायल होने की खबर आई है। इससे फिर यही लगता है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ तमाम अभियानों और कवायदों के बावजूद आज भी आतंकी सक्रिय हैं और अक्सर उनके हमलों या उनके साथ मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के जवानों को जान गंवानी पड़ती है।

गौरतलब है कि इस महीने के शुरू में अखल इलाके में कुछ आतंकियों के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने अभियान शुरू किया था। कई दिनों की मुठभेड़ में अब तक दो आतंकी के मारे जाने की खबर आई है, लेकिन इलाके में घने जंगल और प्राकृतिक गुफाओं का फायदा उठा कर कई आतंकियों के अब भी छिपे होने की आशंका है।

अपने छिपे ठिकानों से सुरक्षा बलों पर घात लगा कर हमले कर रहे आतंकी

कुछ समय पहले पहलगाम में जब कुछ आतंकियों ने अचानक हमला करके कई पर्यटकों की हत्या कर दी थी, तब हर तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग उठी थी। सरकार ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर पाकिस्तानी सीमा में स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ ‘आपरेशन सिंदूर’ के तहत ठोस कार्रवाई की और उसमें काफी आतंकियों के मारे जाने की खबर आई। उस अभियान से दुनिया भर में यह संदेश गया कि अब भारत आतंकवाद के विरुद्ध कोई भी नरमी नहीं बरतने जा रहा है, भले ही उसके कर्ता-धर्ता पाकिस्तान जैसे देश के रहनुमाओं का संरक्षण पाकर वहां से अपनी गतिविधियां संचालित करते हों।

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इसी तेवर में पाकिस्तानी सीमा में घुस कर आतंकियों के खिलाफ एक कामयाब हमले को अंजाम भी दिया गया। मगर अब जम्मू-कश्मीर के कुलगाम और अन्य कुछ इलाकों में आतंकियों की ओर से घात लगा कर किए गए हमलों से यह साफ है कि वहां अब भी आतंकी अपने छिपे ठिकानों से सुरक्षा बलों पर घात लगा कर हमले कर रहे हैं।

आतंकवादी गतिविधियां देश के सामने एक तरह से बनी हुई हैं चुनौती

यह स्थिति तब भी है, जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने अपनी ओर से सभी मोर्चों पर पूरी ऊर्जा लगा रखी है। दशकों से जारी इस समस्या से पार पाने के लिए सरकारों ने समय-समय पर लगातार दावे किए हैं, आतंकियों के खिलाफ अधिकतम सख्ती से लेकर स्थानीय नागरिकों से संवाद तक हर स्तर पर अनेक उपाय किए गए हैं। मगर आज भी वहां रह-रह कर सामने आने वाली आतंकवादी गतिविधियां देश के सामने एक तरह से चुनौती बनी हुई हैं और आए दिन जवानों की शहादत की खबरें आती रहती हैं।

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इसमें कोई दोराय नहीं कि आतंकवाद के खिलाफ अभियान में सरकार ने अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी है। यहां तक कि एकाधिक बार पाकिस्तानी सीमा में घुस कर भी आतंकियों को निशाना बनाया गया। मगर सवाल है कि आखिर कहां ऐसी कमी है कि इस समस्या और पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकवादी संगठनों पर काबू पाना संभव नहीं हो सका है। आतंकियों से मुठभेड़ की ताजा घटना एक बार फिर यह रेखांकित करती है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पूरी तरह सफाए के लिए ज्यादा सुचिंतित और ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।