नियमित स्कूली शिक्षा व्यवस्था के समांतर चलने वाले कोचिंग केंद्रों में पढ़ाई आज एक ऐसा दुश्चक्र बन गया है कि इसमें कई बार नियम-कायदों का खयाल रखना जरूरी नहीं समझा जाता। इनमें दाखिला लेकर स्कूली कक्षाओं से आजादी की सुविधा मुहैया कराने वाले स्कूलों की वजह से भी आज समस्या खड़ी हो रही है। इसमें स्कूली शिक्षा व्यवस्था के नियम-कायदे ताक पर रखे जा रहे हैं। गौरतलब है कि इन्हें ‘डमी स्कूल’ कहा जाता है, जहां विद्यार्थी अपना नामांकन तो करा लेते हैं, मगर वहां कक्षाओं में शामिल होने या हाजिरी लगाने की जरूरत उन्हें नहीं होती। इसमें अनिवार्य उपस्थिति से लेकर अन्य शिक्षण संबंधी प्रमाण-पत्रों की व्यवस्था डमी स्कूल की ओर से करा दी जाती है।

इसी समस्या पर काबू पाने के मकसद से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई ने मंगलवार को राजस्थान और दिल्ली के सत्ताईस ‘डमी स्कूलों’ का औचक निरीक्षण किया। बोर्ड ने इस मसले पर कहा कि सभी संबद्ध स्कूलों से इसके दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने की अपेक्षा की जाती है और इस निरीक्षण के बाद जिन स्कूलों को नियमों के अनुपालन में लापरवाही बरतने या जानबूझ कर अनदेखी करने के मामले पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पहले भी आ चुकी हैं शिकायतें

ऐसी शिकायतें पहले भी आई हैं कि अभिभावक अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों से निकाल कर ‘डमी स्कूलों’ में दाखिला दिलवा देते हैं। दरअसल, अच्छे स्कूलों में छात्रों के लिए अस्सी फीसद हाजिरी का नियम लागू होता है, मगर कोचिंग में पढ़ाई करने वाले छात्र स्कूल नहीं जाना चाहते। वहीं ‘डमी स्कूल’ में दाखिला लेने के बाद उन्हें स्कूल जाने की जरूरत नहीं पड़ती और वे सिर्फ कोचिंग सेंटर में पढ़ाई करते हैं।

इस तरह बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने की कोशिश में अभिभावक अपने बच्चों को शुरुआती दौर में ही जाने-अनजाने भ्रष्टाचार में शामिल कर देते हैं। इस समस्या पर काबू पाने के लिए कोचिंग कक्षाओं और स्कूल के समय को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, मगर यह समस्या बनी रही। स्कूली पाठ्यक्रम की अनदेखी करके सिर्फ किसी खास प्रतियोगिता परीक्षा के मद्देनजर कोचिंग की पढ़ाई के दूरगामी नतीजों के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है।