आस्ट्रेलिया ने सोशल मीडिया की बुरी लत से सोलह साल से कम उम्र के बच्चों को बचाने के लिए एक बड़ी पहल की है। वहां की संसद में पेश इससे संबंधित विधेयक पारित हो गया तो बच्चे सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित हो जाएंगे। नियमों को तोड़ने पर सोशल मीडिया के मंचों को भारी जुर्माना देना होगा। यों इससे पहले फ्रांस, ब्रिटेन, स्वीडन और चीन जैसे देश इस तरह के कदम उठा चुके हैं। इसके समांतर आस्ट्रेलिया का भी संदेश बड़ा है। नए कानून के मुताबिक सोशल मीडिया को आयु सीमा लागू करने के लिए जवाबदेह बनाया जाएगा।

अभिभावकों की सहमति भी नहीं होगी मान्य

जाहिर है, वहां सोलह साल से कम उम्र के बच्चे अब सोशल मीडिया पर अपने खाते नहीं खोल पाएंगे। जो बच्चे अभी मंच पर मौजूद हैं, उन पर स्वत: रोक लग जाएगी। इसमें उनके अभिभावकों की भी सहमति मान्य नहीं होगी। पढ़ाई-लिखाई से लेकर बहुत सारी जरूरत की गतिविधियों के लिए आनलाइन माध्यमों पर बढ़ती निर्भरता के दौर में बच्चों और किशोरों को स्मार्टफोन से दूर रखना या उसका सीमित इस्तेमाल एक चुनौती होगी। मगर भविष्य की पीढ़ियों के हित में कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत वक्त का तकाजा है।

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दुनिया भर के देशों में मोबाइल फोन की लत आज ज्यादातर लोगों के जीवन का हिस्सा बन गया है और इसमें बच्चे या किशोर अपवाद नहीं हैं। जरूरत या सुविधा के नाम पर जिन बच्चों को स्मार्टफोन मिला हुआ है, वे सोते-जागते, हर समय उसमें गुम रहते हैं। सोशल मीडिया के मंचों पर यह आदत थोड़ी और बेकाबू हो जाती है। बहुत सारे बच्चे अनायास ही ऐसी सामग्रियां देखने लगते हैं, जो मादक पदार्थों के सेवन, हिंसा, खुदकुशी, खानपान संबंधी बुरी आदतों को बढ़ावा देती हैं। जब अभिभावक उन्हें इस सबसे दूर रहने को कहते हैं, तो बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और कई बार उनकी प्रतिक्रिया सहज नहीं रह पाती।

अकेले रहने और हिंसक होने की बढ़ रही प्रवृत्ति

चिंता की बात यह है कि वीडियो गेम और रील देख कर बच्चे वयस्क हो रहे हैं। उनमें अकेले रहने और हिंसक होने की प्रवृत्ति बढ़ी है। उनकी नींद गायब हो रही है। इससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है। पढ़ाई से अधिक स्मार्टफोन पर वक्त गुजारने से वे खेल गतिविधियों से भी दूर हो गए हैं।