अमेरिका की ओर से ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित किए जाने के बाद अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक ताजा रपट ने इस तथ्य की सत्यता के आधार को और मजबूत कर दिया है। सुरक्षा परिषद की किसी रपट में पहली बार टीआरएफ का जिक्र किया गया है और साथ ही इस बात को भी माना है कि यह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा है। इससे न केवल आतंक के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक स्तर पर भारत के प्रयासों को बल मिला है, बल्कि पाकिस्तान एक बार फिर दुनिया के सामने बेनकाब हुआ है।
यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पहलगाम हमले को अंजाम देने वाला आतंकी संगठन टीआरएफ ही था और उसने बाकायदा इसकी जिम्मेदारी भी ली थी। हालांकि, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद उसने किसी खास रणनीति के तहत अपना बयान वापस ले लिया था। सुरक्षा परिषद के इस कदम को भारत की कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने टीआरफ के नापाक मंसूबों को दुनिया के सामने उजागर किया था और अब सुरक्षा परिषद ने भी इस आतंकी संगठन को चिह्नित कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम हमले के बाद एक बयान जारी कर कहा था कि ऐसे घृणित आतंकवादी कृत्य के लिए जिम्मेदार अपराधियों, साजिशकर्ताओं, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाना जरूरी है। हालांकि, पाकिस्तान के दखल के कारण उस बयान में टीआरएफ का जिक्र नहीं किया गया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने तब अपनी संसद में खुद यह दावा किया था कि उन्होंने सुरक्षा परिषद के बयान से टीआरएफ का नाम हटवा दिया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की सच्चाई आ रही सामने
दरअसल, पाकिस्तान की पहले से यह रणनीति रही है कि उसकी धरती पर फैल रहे आतंक के वृक्ष को वैश्विक स्तर पर चिह्नित नहीं होने दिया जाए। अब सुरक्षा परिषद की इस रपट में टीआरएफ का नाम आना यह साबित करता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की सच्चाई सामने आ रही है। साथ ही यह इस बात का भी संकेत है कि दुनिया आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के दावों को किस नजरिए से देखती है।
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रपट में एक देश के उन दावों को भी खारिज कर दिया गया है कि लश्कर-ए-तैयबा निष्क्रिय हो चुका है। माना जा रहा है कि वह देश संभवत: पाकिस्तान ही है, क्योंकि यह बात छिपी नहीं है कि लश्कर-ए-तैयबा उसकी धरती पर ही फल-फूल रहा है। रपट में साफ कहा गया है कि पहलगाम आतंकी हमला लश्कर-ए-तैयबा के समर्थन के बिना संभव नहीं था और टीआरएफ तथा लश्कर-ए-तैयबा के बीच गहरे संबंध हैं।
आतंकवाद अब वैश्विक संकट बन चुका है
इस सब के बीच सवाल यह भी है कि क्या किसी आतंकी संगठन को वैश्विक स्तर पर चिह्नित कर देने से आतंकवाद पर अंकुश लग जाएगा? जाहिर है, इसके लिए संयुक्त प्रयासों को धरातल पर उतरना होगा और आतंकियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। इसमें दोराय नहीं कि आतंकवाद अब वैश्विक संकट बन चुका है और इससे निपटने के लिए उसकी जड़ों पर प्रहार करना जरूरी है। यह तभी संभव होगा, जब आतंकियों के साथ-साथ उनके वित्तपोषकों और प्रायोजकों को भी न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।