दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी के पंद्रह पार्षदों का इस्तीफा और नई पार्टी के गठन की घोषणा के बाद दिल्ली के राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। फिलहाल दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में आम आदमी पार्टी बहुस्तरीय मुश्किलों से घिरी दिखती है। इसके कुछ शीर्ष नेताओं पर मुकदमों और विधानसभा चुनावों में पराजय के बाद उसके लिए अपने कई नेताओं को संभालना चुनौती-सा बन गया है। ऐसे में पंद्रह पार्षदों का इस्तीफा और नई पार्टी बनाने का असर आप की राजनीति पर पड़ना तय माना जा रहा है।

आप से इस्तीफा देने वाले पार्षदों ने दिल्ली की जनता के लिए काम करने में बाधा को अपने फैसले का कारण बताया है। देश के लोकतांत्रिक ढांचे में किसी पार्टी के भीतर कार्य और नीतियों को लेकर मतभेद पैदा होना और किसी नेता का नया पक्ष चुनना एक सामान्य बात है, लेकिन यह भी सच है कि मुश्किल दौर से गुजर रही अपनी पार्टी का दामन छोड़ कर सुविधा का ठौर चुनना एक चलन बन गया है।

कुछ समय बाद ही आप अपने अंतर्विरोधों से घिर गई

आम आदमी पार्टी का उदय इस दावे के साथ हुआ था कि वह देश की राजनीतिक संस्कृति में बदलाव का वाहक बनेगी। शुरुआती कुछ समय तक ऐसा लगा भी, जब दिल्ली के लोगों ने यह महसूस किया कि इस पार्टी की सरकार की कामकाज की शैली अलग है और वह अपने वादों को लेकर संजीदा है। मगर कुछ समय बाद देखा गया कि पार्टी उन्हीं अंतर्विरोधों से घिर गई है, जिनके खिलाफ उसने नई राजनीति शुरू करने का भरोसा दिया था।

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इसी के कारण पिछले विधानसभा चुनाव में उसे हार मिली। हालांकि इससे पहले पार्टी ने दिल्ली नगर निगम में अच्छी जीत हासिल की थी। मगर उसके कुछ प्रमुख नेता मुकदमों में फंसे दिख रहे हैं, उसका स्पष्ट असर चुनावी राजनीति में उसकी मौजूदगी पर पड़ा। जाहिर है, दिल्ली की राजनीति में फिलहाल उसके सितारे गर्दिश में दिख रहे हैं। ऐसे में अगर अब तक आम आदमी पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहे और उसी के जरिए अपना एक कद बनाने वाले लोग साथ छोड़ रहे हैं, तो यह निश्चित रूप से पार्टी के लिए एक गंभीर चुनौती का वक्त है।