विकास दुबे एनकाउंटर मामले में एसआईटी का गठन किया गया है। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित इस एसआईटी में एडीजी हरिराम शर्मा तथा डीआईजी जे. रवीन्द्र गौड़ को सदस्य नामित किया गया है। 31 जुलाई को इस मामले की जांच की रिपोर्ट सौंपनी होगी।
वहीं, एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे की संपत्ति की जांच ईडी करेगी। ईडी इस जांच के दौरान विकास दुबे और उसके सहयोगियों की चल-अचल संपत्ति के बारे में पता करेगी। साथ ही यह भी पता करेगी कि कौन से फाइनेंसर थे जो विकास दुबे और उसके गैंग को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रहे थे।
विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पुलिस लगातार उसके साथियों की तलाश कर रही है। इसी कड़ी में मुंबई एटीएस की जुहू यूनिट ने विकास दुबे के खास रामविलास त्रिवेदी उर्फ अरविंद और उसके ड्राइवर सोनू तिवारी को गिरफ्तार किया है। महाराष्ट्र एटीएस का कहना है कि 11 जुलाई को सूचना मिली थी कि कानपुर एनकाउंटर का एक आरोपी थाणे में छिपा हुआ है। एटीएस ने जाल बिछाया और इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
इससे पहले, एसटीएफ ने बयान में (आप नीचे अपडेट सेक्शन में पढ़ सकते हैं) बताया कि आखिर कैसे विकास दुबे को कानपुर ला रही कार बीच रास्ते में पलट गई थी।बयान के अनुसार, दुबे के एनकाउंटर से पहले रास्ते में उसकी गाड़ी के आगे भैंसों का दौड़ता हुआ झुंड आ गया था। ड्राइवर ने उन्हीं पशुओं की जान बचाने के लिए अचानक से गाड़ी मोड़ दी थी, जिसके बाद वह संतुलन खोकर पलट गई थी।
आपको बता दें के इस एनकाउंटर को लेकर पुलिस ने जो थ्योरी दी है उसके मुताबिक ‘पुलिस और एसटीएफ की टीम उसे लेकर कानपुर आ रहे थे कि भौंती के निकट पुलिस का वाहन पलट गया। इस बीच विकास एक घायल जवान की पिस्टल लेकर भागा। पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसे नजरअंदाज करते हुए उसने पुलिस बल पर गोली चलाई जिससे चार स्थानीय पुलिस के जवान और दो एसटीएफ के जवान घायल हो गये। जवाबी कार्रवाई में विकास गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।’
जहां हुआ विकास का काम तमाम वहां से करीब 200 किलोमीटर दूर एक और गैंगस्टर मुठभेड़ में ढेर
एनकाउंटर से पहले एसटीएफ ने विकास दुबे से पूछताछ की थी। इस दौरान उसने खुलासा करते हुए बताया कि उससे गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया लेकिन उसे पुलिस की इतनी सख्त कार्रवाई का अंदेशा नहीं था। विकास ने बताया था कि जब पुलिस ने उसके मकान को ढहाया तो उसे लग गया था कि अब उसका पकड़ा जाना तय है। तभी वह कानपुर से फरार हो गया था। विकास से जब पूछा गया कि सीओ देवेंद्र मिश्र से उसकी क्या दुश्मनी थी, जो उन्हें निर्दयता पूर्वक मारा गया? इस पर विकास ने बताया था कि चौबेपुर का हर पुलिसकर्मी उसकी बात मान लेता था लेकिन सीओ उसके हर काम में दखल देते थे।
विकास दुबे का शुक्रवार देर शाम कानपुर के भैरोघाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान उसकी पत्नी रिचा दुबे से जब एनकाउंटर को लेकर सवाल पूछे गए तो उसने कहा कि जिसने गलती की उसको सजा मिली। जब मीडियाकर्मियों ने और सवाल किए तो रिचा मीडियाकर्मियों पर ही भड़क गई। विकास का बेटा पिता के पैर छूकर फूट फूटकर रोया। उसने विकास के पैर छूकर अंतिम दर्शन किए और बोला पापा, ये सब क्या हो गया। पत्नी और मां भी काफी देर तक रोते रहे, जिन्हें किसी तरह परिजनों ने संभाला।
साल 1990 में अपराध की दुनिया में कदम रखते ही विकास दुबे को सियासी सरपरस्ती मिलनी शुरू हो गई थी। इस दौरान डेढ़ दशक तक वह ग्राम प्रधान रहा। वहीं इस दौरान उसने जिला पंचायत का चुनाव भी लड़ा। विकास की सियासी पारी की शुरुआत बसपा से हुई और ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान वह बसपा के कई शीर्ष नेताओं के संपर्क में रहा। इसके बाद सपा और भाजपा नेताओं से भी विकास का करीबी संपर्क रहा। भाजपा के दो विधायक तो उसके बेहद करीबी बताए जाते हैं।
कानपुर एनकाउंटर के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे के साले ने विकास के एनकाउंटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि गलत के साथ गलत ही होता है। विकास ने कौन सा अच्छा काम किया था जो उसके साथ अच्छा होता। उसने गलत काम किया तो उसके साथ भी गलत हुआ। उसने निर्दोष लोगों की हत्या की थी।
विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद पुलिस लगातार उसके साथियों की तलाश कर रही है। इसी कड़ी में मुंबई एटीएस की जुहू यूनिट ने विकास दुबे के खास रामविलास त्रिवेदी उर्फ अरविंद और उसके ड्राइवर सोनू तिवारी को गिरफ्तार किया है। महाराष्ट्र एटीएस का कहना है कि 11 जुलाई को सूचना मिली थी कि कानपुर एनकाउंटर का एक आरोपी थाणे में छिपा हुआ है। एटीएस ने जाल बिछाया और इन दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
एनकाउंटर में मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे की संपत्ति की जांच ईडी करेगी। ईडी इस जांच के दौरान विकास दुबे और उसके सहयोगियों की चल-अचल संपत्ति के बारे में पता करेगी। साथ ही यह भी पता करेगी कि कौन से फाइनेंसर थे जो विकास दुबे और उसके गैंग को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रहे थे।
विकास दुबे जब फरार था तो वह अपने कुछ साथियों के संपर्क में था लेकिन उसके साथियों को भी उसके ठिकानों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यही वजह है कि विकास के साथियों से पुलिस को कई अहम जानकारियां मिलीं लेकिन उसके ठिकाने के बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका।
पूर्व डीआईजी विजय शंकर सिंह का कहना है कि विकास दुबे के एनकाउंटर पर सवाल तो उठेंगे ही। जिनका पुलिस जवाब भी देगी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि खुद सरेंडर करने वाले विकास दुबे ने भागने की कोशिश क्यों की? उसके हाथ में हथकड़ी क्यों नहीं थी? पुलिस की जिम्मेदारी थी कि वह अपराधी को कड़ी चौकसी में जेल तक पहुंचाती।
विकास की मां सरला देवी ने कहा कि विकास को उसकी करनी की सजा मिली। हिस्ट्रीशीटर के एनकाउंटर की खबर मिलने के कुछ देर के लिए तो मां सरला देवी एकदम से चुप हो गई थी और उन्होंने कमरे में जाकर खुद को बंद कर लिया था। हालांकि कुछ देर बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उसे करनी की सजा मिली।
पुलिस ने दावा किया है कि गाड़ी पलटने के बाद विकास मौके से फरार होने लगा और जब उसे रोकने की कोशिश की गई तो उसने पुलिस टीम पर फायरिंग भी की। इसके जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। जिसमें विकास ढेर हो गया।
विकास दुबे के एनकाउंटर से पहले उसे दूसरी गाड़ी में बिठाया गया था। जिस पर सवाल उठ रहे थे। अब पुलिस ने खुलासा करते हुए बताया है कि जब भी किसी दुर्दांत अपराधी को एक जगह से दूसरी जगह ले जाते हैं तो गाड़ी बदलते हैं, ताकि उसके गुर्गे हमला ना कर दें। यही वजह है कि विकास दुबे को अलग गाड़ी में बिठाया गया था।
विकास दुबे की गिरफ्तारी से पहले कई तरह की अफवाहें उड़ीं। इनमें नोएडा की फिल्म सिटी में सरेंडर करने, विकास के फरीदाबाद में होने, सरेंडर के लिए दिल्ली पुलिस को मैनेज करने जैसी कई खबरें थी। माना जा रहा है कि पुलिस और उसकी जांच को भ्रमित करने के लिए ऐसी अफवाहें फैलायी गई। हालांकि पुलिस के आला अधिकारी इन खबरों से प्रभावित हुए बिना विकास की तलाश में जुटे रहे और आखिरकार उसे उज्जैन में दबोच लिया गया।
विकास दुबे ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया था कि सीओ देवेंद्र मिश्र उसे कानून की हद में रहने की हिदायत देते रहते थे लेकिन उसे यह कतई पसंद नहीं था। वह चाहता था कि उसके गांव और आसपास के इलाके में उसका ही वर्चस्व चले। विकास ने यह बात एसटीएफ के सामने कबूल की थी।
कांग्रेस ने कानपुर हत्याकांड की न्यायिक जांच की मांग की है। पार्टी का कहना है कि कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और मुख्य आरोपी विकास दुबे की कथित मुठभेड़ में मौत की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच करायी जाए, ताकि पूरे मामले की हकीकत जनता के सामने आ सके।
गैंगस्टर विकास दुबे की एसटीएफ से कथित मुठभेड़ में मौत के बाद उसके गांव में कड़ी सुरक्षा चौकसी बरती जा रही है। गांव में जमींदोज किए जा चुके दुबे के घर के आस-पास करीब 60 पुलिसकर्मियों का कड़ा पहरा है। उनमें से ज्यादातर एक नीम के पेड़ के नीचे चारपाई डाल कर बैठे हैं। मकान के खंडहर के पास एक टूटा हुआ बेसबॉल बैट, क्षतिग्रस्त ट्रैक्टर कार और मोटरसाइकिल देखी जा सकती हैं। दुबे की मौत को लेकर गांव के लोग कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। लोग अपने घरों के अंदर हैं और वे पूरे घटनाक्रम पर कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं। पीटीआई-भाषा संवाददाता ने सोमालू नामक एक अधेड़ से दुबे की मुठभेड़ में मौत के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह एक मजदूर है और पड़ोस के गांव में रहता है। इस सवाल पर कि क्या कभी दुबे ने उसकी कोई मदद की थी उसने कहा 'नहीं'। बिकरू वही गांव है जहां पिछली दो-तीन जुलाई की मध्य रात्रि को दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमलावरों ने उसके मकान की छत से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी।
उत्तर प्रदेश में कथित पुलिस मुठभेड़ में शुक्रवार को मारे गये कुख्यात अपराधी विकास दुबे को लेकर मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया। इस वीडियो में सिलावट, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कथित तौर पर ‘‘समाज के लिये कलंक’’ कहते सुनाई पड़ रहे हैं। हालांकि, मंत्री ने यह वीडियो वायरल होने के बाद विपक्षी कांग्रेस द्वारा इसे तोड़-मरोड़ कर सोशल मीडिया पर प्रसारित किये जाने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘यह कांग्रेस की करतूत है और मैं इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी करुंगा।’’
दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की शुक्रवार सुबह कथित मुठभेड़ में मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है। राज्य पुलिस के कई सेवानिवृत्त और सेवारत पुलिस अधिकारियों ने ऐसी मुठभेड़ों के वास्तविक होने या फिर उनके मानवाधिकार का मामला होने के पहलुओं पर अलग- अलग राय जाहिर की है। प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के. एल. गुप्ता ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि वैसे तो जो पुलिस कह रही है उसे हमें मान लेना चाहिए। आखिर क्यों हम हमेशा नकारात्मक रवैया अपनाते हुए पुलिस को गलत ठहराते हैं। मुठभेड़ की नहीं जाती है बल्कि हो जाती है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एक मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है और इसको लेकर आश्चर्य जताया कि पुलिस की कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस के अनुसार उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलट जाने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया। राउत ने कहा, ‘‘दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी। वर्दी पर हमला करने का मतलब है कि कोई कानून और व्यवस्था नहीं है। राज्य पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई करना आवश्यक है, चाहे वह महाराष्ट्र हो या उत्तर प्रदेश।’’
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने शुक्रवार को कहा कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने का पुलिस का दावा ‘‘फर्जी’’ प्रतीत होता है। यादव ने आरोप लगाया कि उसकी हत्या की गई है क्योंकि वह कई बड़े ‘‘राज’’ खोल सकता था। यादव ने कहा,‘‘ विकास दुबे की यह मुठभेड़ (मारा जाना) फर्जी प्रतीत हो रहा है और फिल्म से उठायी गयी (कहानी) है। यह गैरकानूनी तरीका है। यह व्यक्ति कई बड़े राज खोल सकता था कि किसने इसे संरक्षण दिया.....जिन्होंने इसे संरक्षण दिया वह विकास दुबे के बराबर ही आरोपी हैं और देश को उन्हें जानने की जरूरत है।’’
3 जुलाई- कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र स्थित बिकरू गांव में विकास दुबे के साथियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में पुलिस क्षेत्राधिकारी देवेंद्र मिश्रा, तीन सब इंस्पेक्टर और चार सिपाहियों की मौत। वारदात के चंद घंटे बाद दुबे के 2 साथी मुठभेड़ में मारे गए। 4 जुलाई -चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी को पुलिस की दबिश के बारे में जानकारी विकास दुबे को देने के संदेह में निलंबित किया गया। *पुलिस ने दुबे के बिकरू गांव स्थित घर को जमींदोज किया। 5 जुलाई- *विकास दुबे का गुर्गा दयाशंकर अग्निहोत्री कानपुर में एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार। 6 जुलाई-*सरकार ने चौबेपुर थाने के तीन अन्य पुलिस कर्मियों को भी निलंबित किया।
कानपुर एनकाउंटर के बाद पुलिसिया कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जिस गाड़ी से विकास दुबे को लाया जा रहा था वो रास्ते में पलट गई। लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में गाड़ी के पलटने के निशान नहीं मिलने की बात कही गई है। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि एक न्यूज चैनल के रिपोर्टर की गाड़ी भी उस काफिले के पीछे थी जिस काफिले के जरिए विकास दुबे को कानपुर लाया जा रहा था। लेकिन एनकाउंटर से ठीक पहले रिपोर्टर की गाड़ी को रोक दिया गया और कुछ ही देर बाद एनकाउंटर की बात निकलकर सामने आई। इस मामले में शहजाद पूनावाला ने मानवाधिकार आयोग से जांच कराने की गुहार भी लगाई है।
कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी एवं कुख्यात अपराधी विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन से लेकर कानपुर आ रहे पुलिस काफिले के साथ चल रहे मीडिया के वाहनो को संचेडी के पास कथित रूप से रोक दिया गया था, हालांकि पुलिस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है । सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में यह दिख रहा है कि दुबे के साथ हुये मुठभेड़ स्थल से करीब तीस मिनट पहले ही मीडिया के वाहनों को रोक दिया गया था । एक पत्रकार ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पुलिस काफिले के पीछे पीछे आ रहे मीडिया के वाहनों को पुलिस ने कई स्थानों पर रोका । पत्रकार ने बताया कि संचेडी इलाके में भी मीडिया के वाहनो को रोक दिया गया जिसके कुछ देर बाद ही भौती इलाके में दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने की खबर आयी।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने शुक्रवार को कहा कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मुठभेड़ में मारे जाने का पुलिस का दावा ‘‘फर्जी’’ प्रतीत होता है। यादव ने आरोप लगाया कि उसकी हत्या की गई है क्योंकि वह कई बड़े ‘‘राज’’ खोल सकता था। यादव ने कहा,‘‘ विकास दुबे की यह मुठभेड़ (मारा जाना) फर्जी प्रतीत हो रहा है और फिल्म से उठायी गयी (कहानी) है। यह गैरकानूनी तरीका है। यह व्यक्ति कई बड़े राज खोल सकता था कि किसने इसे संरक्षण दिया.....जिन्होंने इसे संरक्षण दिया वह विकास दुबे के बराबर ही आरोपी हैं और देश को उन्हें जानने की जरूरत है।’’ गौरतलब है कि कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी और कुख्यात अपराधी विकास दुबे शुक्रवार की सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारा गया।
दुर्दांत अपराधी विविकास दुबे कथित मुठभेड़ कांड : पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर अलग-अलग राय लखनऊ, 10 जुलाई (भाषा) कास दुबे की शुक्रवार सुबह कथित मुठभेड़ में मौत के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गई है। राज्य पुलिस के कई सेवानिवृत्त और सेवारत पुलिस अधिकारियों ने ऐसी मुठभेड़ों के वास्तविक होने या फिर उनके मानवाधिकार का मामला होने के पहलुओं पर अलग- अलग राय जाहिर की है। प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक के. एल. गुप्ता ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि वैसे तो जो पुलिस कह रही है उसे हमें मान लेना चाहिए। आखिर क्यों हम हमेशा नकारात्मक रवैया अपनाते हुए पुलिस को गलत ठहराते हैं। मुठभेड़ की नहीं जाती है बल्कि हो जाती है। उन्होंने कहा कि दुबे पर 60 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे थे। वह जानता था कि कानून को कैसे इस्तेमाल किया जाना है। वह आखिर इतने सालों तक जेल से बाहर कैसे रहा।
मुंबई के कुछ पूर्व पुलिस अधिकारियों ने शुक्रवार को कुख्यात अपराधी विकास दुबे को एक कथित मुठभेड़ में मार गिराने पर उत्तर प्रदेश पुलिस की सराहना की और कहा कि बल का मनोबल ऊंचा रखने के लिए कार्रवाई की "सख्त जरूरत" थी। दुबे की शुक्रवार सुबह कानपुर के पास उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मौत हो गयी। मुंबई के पूर्व 'मुठभेड़ विशेषज्ञ’ पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा ने दुबे के खिलाफ कार्रवाई का बचाव किया। उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत करते हुए कहा, "हमें इस साहसी कार्रवाई के लिए उप्र पुलिस को बधाई देनी चाहिए और यह वास्तविक मुठभेड़ है क्योंकि इसमें चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।"
दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की शुक्रवार कथित मुठभेड़ में मौत के बाद अपराधियों को हथकड़ी लगाने या न लगाए जाने को लेकर बहस छिड़ गई है। एक तरफ सवाल है कि पुलिस ने दुबे जैसे बदमाश को हथकड़ी क्यों नहीं लगा रखी थी, तो दूसरी ओर उच्चतम न्यायालय के वे निर्देश हैं, जिनमें वह हथकड़ी लगाए जाने को ''अमानवीय, अनावश्यक तथा कठोर और मनमाना तरीका करार दे चुका है। पुलिस कई न्यायिक मंचों पर यह कहते हुए हथकड़ी लगाए जाने का समर्थन करती आई है कि इससे यह सुनिश्चित करने मदद मिलती है कि खूंखार आरोपी या दोषी गिरफ्त से भाग न पाए। शीर्ष अदालत समय-समय पर विचाराधीन व्यक्ति को हथकड़ी लगाए जाने की प्रक्रिया को लेकर दिशा-निर्देश जारी करती रही है। अदालत का कहना है कि कोई फरार न हो, यह सुनिश्चित करने के लिये हथकड़ी लगाया जाना अनिवार्य नहीं है।
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी दुर्दांत अपराधी विकास दुबे की शुक्रवार को कथित मुठभेड़ में मौत के बाद यह घटनास्थल लोगों के लिए सेल्फी प्वाइंट बन गया है। दुबे शुक्रवार सुबह उज्जैन से कानपुर ले जाते वक्त रास्ते में भौती क्षेत्र में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया। एसटीएफ के मुताबिक, दुबे को ले जा रहा वाहन भौती क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दुबे ने मौके का फायदा उठाकर भागने की कोशिश की। एसटीएफ ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन उसने एसटीएफ के जवानों पर एक जवान से छीनी गई पिस्टल से गोली चलाई। जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। वारदात के बाद वह घटनास्थल लोगों के कौतूहल का विषय बन गया है। उधर से गुजरने वाला हर शख्स यह जानने के लिए उत्सुक है कि किस जगह पर मुठभेड़ हुई और यह अंदाजा लगाने की कोशिश में है कि दुबे को कैसे मारा गया होगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि वह घटनास्थल सेल्फी प्वाइंट बन गया है। गुजरने वाला हर व्यक्ति मौका-ए-वारदात की तस्वीर को अपने मोबाइल फोन में कैद करने की कोशिश में है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को कहा गया कि कुख्यात अपराधी विकास दुबे के एक मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है और इसको लेकर आश्चर्य जताया कि पुलिस की कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं। कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस के अनुसार उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलट जाने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया। राउत ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या की थी। वर्दी पर हमला करने का मतलब है कि कोई कानून और व्यवस्था नहीं है। राज्य पुलिस द्वारा सख्त कार्रवाई करना आवश्यक है, चाहे वह महाराष्ट्र हो या उत्तर प्रदेश।’’ राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘‘एक मुठभेड़ में दुबे के मारे जाने पर आंसू बहाने की कोई जरूरत नहीं है। पुलिस कार्रवाई पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं?’’
पुलिस के अनुसार उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए सड़क हादसे में एक पुलिस वाहन के पलटने के बाद दुबे ने भागने का प्रयास किया, जिसके बाद मुठभेड़ में वह मारा गया। वहीं, पुलिस वाहन पलटने से पुलिस निरीक्षक सहित चार पुलिसकर्मी घायल भी हो गए, जिनमें से एक की हालत गंभीर है। कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने बताया कि सड़क दुर्घटना सुबह हुई। उन्होंने कहा "तेज बारिश हो रही थी। पुलिस ने गाड़ी तेज भगाने की कोशिश की जिससे वह डिवाइडर से टकराकर पलट गयी और उसमें बैठे पुलिसकर्मी घायल हो गए। उसी मौके का फायदा उठाकर दुबे ने पुलिस के एक जवान की पिस्तौल छीनकर भागने की कोशिश की और कुछ दूर भाग भी गया। पुलिस के मुताबिक उसी वक्त पीछे से एस्कॉर्ट कर रहे एसटीएफ के जवानों ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की और उसी दौरान उसने एसटीएफ पर गोली चला दी जिसके जवाब में जवानों ने भी गोली चलाई और वो गिर पड़ा।
कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार ने कहा कि विकास दुबे को ला रही गाड़ी पलटी थी। वो किसी तरह बाहर निकला और घायल सिपाहियों की पिस्टल छीनकर भागने लगा। फायरिंग हुई और उसे भी गोली लगी। 4 सिपाही भी घायल हैं।
दुर्दांत विकास दुबे के अंत के साथ ही बिकरू आजाद हो गया। यहां ग्रामीणों ने मिठाईयां बांट कर जश्न मनाया। स्थानीय लोगों का कहना था कि 'पूरे इलाके में खुशी का माहौल है। ऐसा महसूस हो रहा है कि आखिरकार हमें आजादी मिल गई। यह एक आतंक के दौर के खत्म होने जैसा है। सभी लोग खुश हैं।'
कानपुर गोलीकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे का शुक्रवार सुबह एनकाउंटर हो गया। इसपर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता ने एक शायरी को ट्वीट कर लिखा, ‘हजारों जवाबों से अच्छी है खामोशी उसकी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली’।
कानपुर गोलीकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे का शुक्रवार सुबह एनकाउंटर हो गया। इसपर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता ने एक शायरी को ट्वीट कर लिखा, ‘हजारों जवाबों से अच्छी है खामोशी उसकी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली’।
विकास दुबे के शव को पोस्टमॉर्टम हाउस लाया गया जहां उसका पोस्टमार्टम किया गया। इससे पहले उसका कोरोना टेस्ट कराया गया था और रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उसका पोस्टमार्टम कराया गया था। बताया जा रहा है कि विकास के शव से चार गोली मिली है। उसके सीने में तीन गोली लगी है।
LLR अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ.आरबी कमल ने बताया कि विकास दुबे को यहां मृत लाया गया था, उसको 4 गोली लगी थी। 3 गोली सीने में लगी थी और एक हाथ में। उन्होंने बताया कि यहां 3 पुलिसकर्मी लाए गए हैं रमाकांत, पंकज और प्रदीप, वो खतरे से बाहर हैं। 2 पुलिसकर्मियों को गोली लगी है, दोनों की हालत अभी स्थिर है।
वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि सोचिये कि ‘ट्रांजिट’ में गैंग्स्टर #विकास_दुबे के हाथों में हथकड़ी व पैरों में बेड़ियां(कोर्ट से आज्ञा लेकर) होती तो क्या वो भागने की कोशिश करता?! फिर वो ना तो कथित तौर पर भागता और ना ही @uppolice को ‘आत्मरक्षा’ में गोलियॉं चलानी पडतीं! दुर्दांत दुबे जिंदा रहता तो कई राज खोलता!'
उत्तर प्रदेश में कानपुर के चौबेपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे के मारे जाने के बावजूद पुलिस की तलाश अभी पूरी नहीं हुई है। पुलिस अब उन बचे हुए 12 शातिरों की तलाश कर रही है जिन्होंने बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात दुस्साहिक वारदात को अंजाम दिया था। अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने शुक्रवार को यहां पत्रकारों से कहा कि बिकरू कांड को अंजाम देने के मामले में 21 अभियुक्तों को नामजद किया गया था जबकि 60 से 70 अन्य अभियुक्त भी पुलिस के राडार पर है। उन्होंने बताया कि विकास दुबे समेत 6 नामजद अभियुक्तों को अब तक ढेर किया जा चुका है जबकि तीन को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि अब 21 में से 12 शातिर अब भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं जिनकी तलाश जारी है और उम्मीद है कि उन्हे भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। कुमार ने बताया कि अन्य अभियुक्तों में 8 को गिरफ्तार किया गया है।
कानपुर एनकाउंटर के बाद पुलिसिया कार्रवाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार राहुल कंवल ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ' विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान हमारे संवाददाता काफिले के साथ-साथ चल रहे थे. रात 10.30 बजे राजगढ़ में यूपी एसटीएफ ने @ReporterRavish की कार रोकी और उनकी चाबी निकाल ली. ‘एनकाउंटर’ के ठीक 15 मिनट पहले काफिले के पीछे चल रही @arvindojha की कार रोक दी गई। उसके बाद Boom.'