भारत में 2022 में दंगों के सबसे अधिक 8,218 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मुंबई में बीते साल आर्थिक अपराध के 6,960 मामले दर्ज किए गए और यह किसी भी महानगर में दर्ज ऐसे मामलों में सबसे अधिक है।
NCRB ने जारी किया डाटा
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले एनसीआरबी ने सोमवार को ‘भारत में अपराध 2022’ रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत आपराधिक मामले दर्ज करने में महाराष्ट्र (उत्तर प्रदेश के बाद) दूसरे स्थान पर रहा। आंकड़ों से यह भी पता चला कि महाराष्ट्र में 2022 में 2,295 हत्याओं के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार के बाद हत्या के मामलों में तीसरे स्थान पर रहा। वहीं बलात्कार के मामलों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बाद चौथे स्थान पर रहा। महाराष्ट्र में बलात्कार के 2,904 मामले दर्ज किए गए।
रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में 2022 में (आइपीसी की धाराओं के तहत) कुल 3,74,038 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि 2021 में 3,67,218 और 2020 में 3,94,017 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले साल महाराष्ट्र में दंगों के मामलों में वृद्धि हुई। ये मामले आइपीसी की धारा 147 से 151 (दंगा और गैरकानूनी सभा से संबंधित) के तहत दर्ज किए गए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि महाराष्ट्र में दंगों के कुल 8,218 मामले दर्ज किए गए।
रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई में बीते साल आर्थिक अपराध के 6,960 मामले दर्ज किए गए और यह किसी भी महानगर में दर्ज ऐसे मामलों में सबसे अधिक हैं। आंकड़ों के अनुसार मुंबई में साइबर अपराध के मामले भी पिछले साल 2022 में बढ़ कर 4,724 हो गए, जो 2021 में 2,883 थे। पिछले साल आर्थिक अपराध के 6,015 मामलों के साथ हैदराबाद दूसरे स्थान पर और दिल्ली (5,007) तीसरे स्थान पर थी। इसमें कहा गया है कि मुंबई में दर्ज कुल आर्थिक अपराधों में से 1,093 मामले आपराधिक विश्वास हनन के थे, जबकि जालसाजी और धोखाधड़ी के 5,855 थे।
साइबर क्राइम में तेलंगाना नंबर वन
एनसीआरबी के अनुसार साइबर अपराधों के रजिस्ट्रेशन के मामले में 2022 में 8,249 मामलों के साथ महाराष्ट्र चौथे स्थान पर था। जबकि इस सूची में तेलंगाना पहले नंबर पर था। तेलंगाना में आनलाइन अपराधों की श्रेणी के तहत 15,297 FIR दर्ज की गई। कर्नाटक साइबर अपराध के 12,556 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर, जबकि उत्तर प्रदेश 10,117 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर था।