असम और मिजोरम के सीमा विवाद जटिल मुद्दा बनते जा रहा है। मिजोरम की सीमा असम की बराक घाटी से लगती है। दोनों देशों की सीमा बांग्लादेश से लगी हुई है। पूर्वोत्तर में अक्सर सीमा पर कई मुद्दों को लेकर तनाव की स्थिति बनी रहती है। असम का मेघालय, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ सीमा विवाद है। पिछले दिनों असम और मिजोरम सीमा पर हिंसक झड़प में असम के छह पुलिस जवानों की मौत हो गई। झड़प इतना भयावह था कि स्थानीय लोगों को भी निशाना बनाया गया और गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।

असम और मिजोरम की सीमा वर्तमान समय में करीब 165 किलोमीटर लंबी है और यह उस समय से मौजूद है जब मिजोरम को लुशाई हिल्स के तौर पर जाना जाता था। लुशाई हिल्स असम का ही एक जिला था। साल 1875 में एक अधिसूचना जारी हुई और उसके बाद लुशाई हिल्स काचर प्लेंस से पूरी तरह से अलग हो गया। मिजोरम के लोगों का मानना है कि सीमा सन 1875 के आधार पर रेखांकित करना था। वह अधिसूचना बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) 1873 से तैयार की गई थी। उनका तर्क है कि सीमा का निर्धारण करते समय मिजो नागरिकों से पूछा नहीं गया था। लेकिन असम इससे असहमत है। बहुत जल्द केंद्र सरकार को कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए। ऐसे ही दोनों पड़ोसी राज्यों को एक दूसरे के साथ भिड़ना अच्छे संकेत बिल्कुल नहीं हैं। असम हमारा राज्य है तो मिजोरम हमारा पड़ोसी।
’समराज चौहान, पूर्वी कार्बी आंग्लांग, असम

खेती में पानी

हमारे देश में अतिवृष्टि एवं अनावृष्टि के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं से देश के विभिन्न राज्य जूझ रहे हैं। भूभाग पर उपलब्ध जल का सत्तर फीसद व्यय कृषि कार्यों में होता है। शेष का इस्तेमाल निस्तार और पेयजल के रूप में किया जाता है। फसल चक्र में बदलाव से एवं अल्प पानी की पैदावार को बढ़ावा देकर किसान भी फसलों के लिए पानी की व्यवस्था करने के तनाव से कुछ हद तक निजात पा सकते हैं। भूजल स्तर गिरने और अनियमित वर्षा चक्र के कारण जलस्रोतों में पानी का संचय पर्याप्त रूप से नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में पानी की बचत को एक अभियान के रूप में अपनाकर कृषक प्रकृति के संरक्षण के लिए अपना अहम योगदान दे सकते हैं।
’ललित महालकरी, इंदौर, मप्र