‘जीरो टालरेंस’ की नीति पर काम कर रहे सेना के जवानों से देश को भरोसा है। देश में आतंकियों को नेस्तनाबूद करने के लिए सरकार कटिबद्ध है। आतंकवदियों को मिलने वाली बड़ी रकम पर भारत की नजर है। ‘आतंकी वित्तपोषण’ के खिलाफ भारत के अभियान को तेज गति देने के लिए ‘मनी फार टेरर’ पर रणनीति बनाई जा रही है। विदेश से आने वाली वित्तीय मदद बंद करने और उस पर कड़ी निगरानी रखने के लिए आज से सम्मेलन का आगाज हुआ। भारत के पड़ोसी देश से पैदा हुए आतंकी संगठनों को नेस्तनाबूद करने के लिए सरकार एक उपक्रम तैयार करने के लिए सत्तर देशों के प्रतिनिधियों के इस सम्मेलन में दुनिया से आने वाले धन पर लगाम कसी जा रही है। इस एकजुटता में भारत की अहम भूमिका है। विश्व को डराने वाले आतंकी संगठनों के दिन लदने वाले हैं।

मानवता के लिए दुश्मन बने आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद की जड़ें काट कर उनके पैरों में सरकार बेड़ियां डालने जा रही है। आतंकी संगठनों को एक न एक दिन हथियार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सरकार की नकेल कसने के बाद बिना पगार आतंकी नौकरी कैसे कर सकते हैं। इंटरपोल और संयुक्त राष्ट्र की आतंक-विरोधी समिति की बैठक के बाद भारत अब तीसरे बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।

इसमें पाकिस्तान भागीदार नहीं बन रहा है। इसका कारण यह है कि पाकिस्तान ही आतंकियों को पाल-पोस रहा है। विदेशी इमदाद तलाशने के लिए सभी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। आतंकवादियों को ‘जीरो टालरेंस’ की नीति से ही परास्त किया जा सकता है। वित्तीय मदद से आतंकी जोर-शोर से हिंसा पर उतारू हो रहे हैं। यह दुनिया की बहुत बड़ी विडंबना है। आतंकवाद और आतंकवादी के वित्तपोषण में वैश्विक रुझान आतंकवाद के लिए औपचारिक या अनौपचारिक चैनलों का उपयोग, चुनौतियों के सामाधन आदि पर चर्चा की जाएगी।

यह दुनिया के लिए एक उपलब्धि है, जिसका श्रेय भारत को जाता है। पहली बार इस तरह की गतिविधियों पर भारत में चर्चा हो रही है। भारत ने आतंकवादियों की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। जिस तरह आतंकी हिंसा पर उतारू होते थे, उनको मदद मिलती थी, अब सभी दरवाजे बंद होने जा रहे हैं। जिस तरह पाकिस्तान इतरा रहा है, उससे यह संभव ही नहीं है कि पाकिस्तान वित्तपोषण की रकम उन हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देने वालों की भरपाई कर सके।

सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियारों का जखीरा भेजना और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का कुकृत्य किया जा रहा है। यह देश, दुनिया के लिए खतरनाक है।जम्मू-कश्मीर में शांति और आतंकियों के मंसूबे ध्वस्त करने का काम सेना कर रही है, जिससे आतंकवादियों का जीना हराम हो गया है। भारत की पहल विश्व शांति में सहायक सिद्ध होगी।
कांतिलाल मांडोत, सूरत

निरर्थक मुद्दे

आजकल की राजनीति में तेरा मेरा कुछ ज्यादा ही चल रहा है। मेरे गांधी, मेरे सावरकर, मेरे आंबेडकर, मेरे भगत सिंह, मेरे वल्लभभाई पटेल वगैरह-वगैरह…! देश के लिए कुर्बानी देने और देशहित में काम करने वाले, चाहे आम हों या खास, सभी हम सबके हैं। वे केवल कांग्रेस, भाजपा, आम आदमी पार्टी के नहीं हैं! कहा गया है, ‘बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि लेहु’, मगर दुखद बात है कि सियासत में वर्तमान बुनियादी मुद्दों पर ‘काम करने, काम करके दिखाने’ के बजाय निरर्थक बहसों द्वारा देश और जनहित के मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

तेरे, मेरे करने से देश और जन मजबूत नहीं बनते। बुनियादी मुद्दों पर पर ठोस काम करने से ही देश मजबूत होगा। सियासत करना है तो मुद्दों पर कीजिए, ‘गड़े मुर्दों को उखाड़ने’ से कोई फायदा नहीं है! आखिर सियासत करने वाले बेतुके, निरर्थक मुद्दों से परहेज क्यों नहीं करते? वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए तो सहज रूप से कहा जाता है कि देश को गड्ढे में ही धकेला जा रहा है।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन