भक्त नए साल पर मां के दरबार में हाजिरी लगाने जा रहे थे कि बीच में ही यह हादसा हो गया। सुबह-सुबह इस मनहूस खबर से लोग मर्माहत हो गए। हादसा कैसे हुआ, यह जांच का विषय है। यही कारण है कि आज लोग भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचते हैं। इससे पहले भी अनेक धार्मिक स्थलों पर भगदड़ मचने से अनेक लोग हताहत हुए हैं। भगदड़ का शिकार सबसे ज्यादा बूढ़े, बच्चे और औरतें होती हैं। भगदड़ मचने पर लोग अपना संतुलन खो देते हैं और गिरते-पड़ते एक दूसरे को रौंदते चले जाते हैं। भक्तों की भीड़ और संकीर्ण रास्ते, रात को समुचित प्रकाश न होना भी हादसे का कारण बनते हैं। प्रशासन को ऐसे भीड़भाड़ वाले धार्मिक स्थलों पर विषम परिस्थितियों से निकलने के लिए वैकल्पिक उपाय करना चाहिए।

आस्था रखें, लेकिन जीवन रक्षा उससे भी जरूरी है। यह हादसा त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित मंदिर के गर्भगृह के बाहर हुआ है। इसमें बारह लोगों की मौत हो गई और कई लोग जख्मी हैं। एक विवाद के कारण लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगे और इसी से भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
’प्रसिद्ध यादव, बाबूचक, पटना

घातक बयानबाजियां

देश में इन दिनों धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले बढ़ रहे हैं। इसके पीछे वजह उत्तर प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को मान रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसकी शुरुआत हरियाणा के एक चर्च से हुई, जहां क्रिसमस के दिन कुछ लोगों ने तोड़फोड़ की। पंजाब के दरबार साहेब में वहां मौजूद सेवादारों ने एक व्यक्ति को तब मार दिया जब वह कथित तौर पर खाने की तलाश में वहां घुस गया और पवित्र तलवार को हाथ लगा दिया। हालांकि ईश-निंदा के अपराध में अभी तक सजा का प्रावधान हमारे देश के कानून में नहीं है, लेकिन कथित तौर ऐसे कृत्य के लिए पीट-पीट कर मार देना क्या किसी अपराध से कम है?

इस तरीके के कई धार्मिक मसले इन दिनों सुर्खियां बने हुए हैं। रायपुर और हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में कुछ साधुओं ने धर्म विशेष की भावनाओं को आहत करने का काम किया। पर उन्हें यह समझना चाहिए कि समाज में हिंसा, द्वेष और घृणा पैदा करना किसी अधर्म से कम नहीं है। धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले कालीचरण को देशद्रोह समेत अन्य मामलों में छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इतना कुछ हो जाए और प्रतिक्रिया न आए ऐसा भला कैसे हो सकता है। फिल्म कलाकार नसीरूद्दीन शाह ने इस पर टिप्पणी करते हुए मुसलिमों के बीस करोड़ होने की बात कही और कहा कि वे लड़ेंगे और इतनी जल्दी नष्ट नहीं होंगे। ऐसी बयानबाजियां धार्मिक युद्ध की ओर बढ़ने का संकेत भी हो सकती हैं, जिसका परिणाम सभी धर्मों के लिए घातक होगा।
’शिवम सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय

भीतर के घाती

अपना देश न केवल सीमा पार के शत्रुओं से जूझ रहा है, बल्कि देश के अंदर बैठे आस्तीन के सांपों से भी दो चार हो रहा है। ये आस्तीन के सांप सीमापार के शत्रुओं से अधिक खतरनाक हैं। इनमें न केवल महबूबा मुफ्ती, उमरअब्दुल्ला, खुर्शीद आलम, ओवैसी जैसे संप्रदाय विशेष के लोग हैं, बल्कि वे वोटपिपासु जयचंद भी हैं, जो सत्ता के लिए बिन जल मछली की तरह तड़प रहे हैं। ये लोग पाकिस्तान और चीन से भी सहायता लेकर सत्ता प्राप्त करने को बुरा नहीं मानेंगे।
’नरेंद्र टोंक, मेरठ