करनी का फल कभी न कभी तो भुगतना ही पड़ता है। बिहार में वह दौर था, जब राज्य में भ्रष्ट अफसरों की सूची लंबी थी। हर रोज भ्रष्टाचार की खबर अखबार की सुर्खियों में रहती थी। कोलतार घोटाला बहुत बड़ा आर्थिक घोटाला था। बिहार में नीतीश कुमार की सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नही है। नीतीश कुमार को बार-बार जनता सत्ता सौंप रही है। उनकी साफ छवि और विकास की बुनियाद पर सत्ता कायम है। बिहार की तस्वीर पर गौर करें तो मालूम पड़ता है कि बिहार में तानाशाही शासन रहा है। लालू यादव को इस उम्र में जेल जाना पड़ रहा है। उनकी तबियत खराब चल रही है। चारा घोटाले में दोषी पाए गए हैं।
बिहार में 1990 के बाद लालू प्रसाद के शासनकाल में अनेक भ्रष्टाचार के मामले दर्ज हुए थे। 1996 में चारा घोटाले के बाद अलकतरा घोटाला, इंदिरा आवास घोटाला, बीएड डिग्री घोटाला, दवा खरीद घोटाला और मस्टररोल घोटाला हुए। राज्य के हर विभाग में घोटाला हुआ था। उस समय कोई भी काम कराने के लिए नाकों चने चबाने पड़ते थे। बिहार में बाढ़ राहत में भी करोड़ों का घोटाला हुआ था। यह कितनी शर्म की बात है। राज्य में घोटाला राज्य के तंत्र का हिस्सा बन गया था। आज सत्तारूढ़ सरकार से इस्तीफा मांगा जा रहा है, क्योंकि उनके लूटने और घोटाला करने के सभी मार्ग बंद हो गए हैं। जैसी करनी वैसी करनी की कहावत चरितार्थ हो रही है।
- कांतिलाल मांडोत, सूरत
सांसत में पाकिस्तान</strong>
स्वार्थी लोगों का कहीं सम्मान नहीं होता, बल्कि उनका केवल प्रतिनिधित्व रहता है। लेकिन कई बार ऐसे लोगों के सपने या दूसरे शब्दों में बड़बोलापन कहें तो काफी बड़ा होता है। ऐसे लोगों के साथ हिंदी कहावत चौबे जी गए छब्बे बनने दुबे बन कर आए जैसी स्थिति आम बात हो जाती है। यही हाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का है। एक तरफ तो उनका घर उजड़ा जा रहा है।
तीसरी पत्नी के साथ उनकी अलगाव की स्थिति बनने लगी है, तो वहीं बलूचिस्तान भी अलगाव की राह पर। भारत के स्वास्थ्य लोकतंत्र देख बलूचों को भी सेना की सलाहों के भरोसे टंगी पाकिस्तानी सरकार से मोहभंग होने लगा है। सीपेक का विरोध, पाकिस्तानी सरकार का पंजाब को ज्यादा तरजीह देने की बातें भी बलूच कर रहे हैं। पाकिस्तान को जहां तुर्की के अलावा दूसरे इस्लामिक राष्ट्र नजरअंदाज कर रहे हैं, तो वहीं चीन पाकिस्तान को ऋण की पुड़िया देने के बहाने गुलामी में जकड़ता जा रहा है।
- कृष्ण चंद्र त्रिपाठी, रीवा, मध्यप्रदेश
रूस-यूक्रेन तनाव
दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है। दुनिया के लगभग सभी देशों के पास दुनिया को एक सेकेंड में तबाह करने वाले बम, मिसाइलें और अन्य खतरनाक सामान है। अगर आज के समय में दुनिया के किन्हीं भी दो देशों में युद्ध का माहौल बनता है तो यह सारी दुनिया के लिए चिंता की बात है। आजकल रूस और यूक्रेन के बीच पिछले कुछ दिनों से तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है। अगर दोनों में युद्ध हो जाता है तो यह सारी दुनिया के लिए खतरनाक और हानिकारक सिद्ध हो सकता है। अगर ये परमाणु बमों का प्रयोग करते हैं तो यह दुनिया के बहुत से देशों में तबाही मचा सकता है। दुनिया के दूसरे देशों को इन दोनों के बीच को तनाव कम करने के लिए इनमें समझौता करवाने के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए। अमेरिका को यहां खेल खेलने से बचना चाहिए।
मिसाइलों और लड़ाई के दूसरे आधुनिक हथियारों के भयंकर परिणामों को देखते हुए सभी देशों को भारत की तरह शांति की राह पर चलते हुए सभी मसले हल करने चाहिए। जापान के नागाशाकी और हिरोशिमा के लोग आज तक अमरीका द्वारा गिराए परमाणु बम के बुरे परिणाम झेल रहे हैं। वैसे भी अगर विश्व के किन्हीं भी देशों के बीच आपसी युद्ध होता है तो उसकी चपेट में आंशिक रूप से सभी देशों पर पड़ता है। क्योंकि विश्व के सभी देश किसी न किसी तरह एक-दूसरे पर थोड़े-बहुत निर्भर है। इसलिए युद्ध के भयंकर परिणामों को देखते हुए सभी देशों को एक-दूसरे से दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहिए।
- राजेश कुमार चौहान, जलंधर