केंद्र सरकार ने गत वर्ष नीति और विधि आयोग को एक मतदाता सूची के लिए मसौदा तैयार करने को कहा था। निर्वाचन आयोग लोकसभा, विधानसभा के लिए तथा राज्य निर्वाचन आयोग शहरी निकायों और ग्रामीण पंचायतों के लिए अलग-अलग मतदाता सूची तैयार कराते हैं। इससे काफी धन खर्च होता है। मगर एक ही मतदाता सूची से जब ये सभी चुनाव होंगे तो निश्चित ही समय, श्रम के साथ-साथ धन भी बचेगा। कई राज्यों में पंचायती और शहरी निकायों के चुनाव के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में अभी से सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची बन कर तैयार हो तो काफी लाभकारी होगा। नीति और विधि आयोग जितनी जल्दी हो सके एक ही मतदाता सूची का उचित प्रारूप तैयार कर सूची तैयार कराएं।
’हेमा हरि उपाध्याय ‘अक्षत’, उज्जैन
व्यावहारिक कदम उठाएं
पिछले कुछ सालों से इंसान नई नई बीमारियों से जूझ रहा है। मगर पिछले लगभग दो सालों से न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को कोरोना नामक बीमारी ने आतंकित कर रखा है। लाखों लोग इससे अपनी जान गंवा चुके हैं। लाखों बच्चे अनाथ हो चुके हैं। लाखों लोगों का रोजगार छिन चुका है। बाजारों में वीरानी छाई हुई है। स्कूल कालेज महीनों से सूने पड़े हैं। कोई गलती से खांस भी दे तो लोग उसे शक की निगाह से देखते हैं। पिछले कुछ महीनों से कोरोना कुछ कमजोर हुआ, तो इसका श्रेय टीके को दिया गया। केंद्र सरकार ने भी कोरोना को नियंत्रित करने का खूब प्रचार किया, लेकिन अब एक बार फिर से कोरोना सिर उठाने लगा है। दहशत का माहौल फिर से बनने लगा है।
पांच राज्यों में चुनाव आने वाले हैं। बीमारी को देखते हुए चुनाव टालने की मांग उठने लगी है। चुनावी रैलियों पर भी रोक लगाने की मांग उठ रही है। नाजुक हालात को देखते हुए रैलियों पर रोक लगाने की मांग को सही कहा जा सकता है। पर इन मांगों पर रोक लगने की घोषणा तो अभी तक नहींं हुई है, लेकिन कुछ राज्यों ने रात्रि कर्फ्यू लगा दिए हैं। हालांकि यह बात समझ से परे है कि इतनी ठंड में रात को घर से कौन निकलता है, जो रात्रि कर्फ्यू की जरूरत पड़ी! गंभीर हालत को देखते हुए चुनावी रैलियों पर रोक लगनी चाहिए। लोग जागरूक हों, साफ-सफाई रखें, मास्क लगाएं, बिना जरूरत के घरों से बाहर न निकलें, ज्यादा भीड़भाड़ न हो, इस बात का ध्यान रखा जाए, तभी हम कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग को जीत पाएंगे।
’चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली</p>