चारधाम परियोजना- यमुनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ को लेकर लगभग नौ सौ किलोमीटर लंबी सड़क बनाने की मंजूरी देकर उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया कि देश की सीमा सुरक्षा सर्वोपरि हैं। हालांकि पर्यावरणीय सुरक्षा भी जरूरी है, जिसके बारे में सभी पक्षों के विचार सुनने के बाद सोच-समझ कर ही परियोजना को पूरा करने की स्वीकृति मिली है। चारधाम परियोजना चीन से सटे सीमाई क्षेत्रों के लिए अति आवश्यक है। इस परियोजना के पूरा हो जाने से भारतीय सेना के लिए ब्रह्मोस तथा एस-400 जैसी बड़ी मिसाइल प्रणाली को भारत-चीन सीमा तक ले जाना आसान हो जाएगा।
पर्यावरण की सुरक्षा भी जरूरी है, लेकिन पर्यावरणविदों को यह भी सोचना होगा कि हर समय पर्यावरण के नाम पर देश की सुरक्षा में लापरवाही नहीं की जा सकती। चीन हर तरफ से भारत के सीमायी क्षेत्रों में सड़क निर्माण कर रहा है और उसके सभी निर्माण पर्यावरण को धता बताते हैं। इस लिहाज से भारत के सामरिक महत्त्व के लिए यह परियोजना को मंजूरी मिलना बहुत जरूरी था।
’अंकित सिंह, भोपाल</p>
निष्पक्षता जरूरी
‘लापरवाही नहीं साजिश’ (16 दिसंबर) में तथ्यों को बड़ी निष्पक्षता के साथ रखा गया है। पहले इस पूरे प्रकरण को एक दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की गई और फिर उच्च पद का प्रभाव डालने का प्रयत्न किया गया। पर विशेष जांच दल यानी एसआईटी की प्रशंशा करनी होगी कि उसने बिना किसी भेदभाव के इस प्रकरण की जांच कर तथ्यों को सबके सामने रखा।
इस मामले में एक केंद्रीय मंत्री के पुत्र का नाम आना दुखद बात है। जो मंत्री सरकार में रहते हुए अपनी प्रजा की रक्षा के लिए उतरदायी हैं, अगर उन्हीं पर इस प्रकार से उंगली उठे, तो यह विडंबना ही है। लखीमपुर खीरी की घटना बहुत दुखद है। प्रधानमंत्री हमेशा से गुड गवर्नेंस के पक्षधर रहे हैं। ऐसे में सरकार के मंत्री-पुत्र का नाम इस प्रकरण में आना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार और पार्टी को आत्मविश्लेषण करके भविष्य के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि सरकार की छवि को ठेस न पहुंचे।
’राजेंद्र कुमार शर्मा, रेवाड़ी, हरियाणा