देश हो या विदेश, सबकी एक ही कहानी है। जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति थे, तब 2 अक्तूबर, 2018 को, वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार और सऊदी एक्टिविस्ट जमाल खशोगी की इस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी।
तब अमेरिकी खुफिया एजंसियों ने जांच में पाया था कि हत्या का आदेश सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान ने दिया था। उस समय के विपक्षी नेता और आज के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मुहिम चलाई थी जमाल को न्याय दिलाने के लिए। अब जब प्रिंस सलमान पर मुकदमा चलाने की बारी आई, तो बाइडेन प्रशासन ने इसे यह कहते हुए मंजूरी देने से इनकार कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून में किसी राष्ट्राध्यक्ष को छूट मिलने की बात पूरी तरह स्थापित है।
अभी चंद महीने पहले ही प्रिंस सलमान को सऊदी अरब का प्रधानमंत्री बनाया गया था। अगर वे प्रधानमंत्री नहीं भी होते, तो बाइडेन सरकार उन्हें कभी कठघरे में नहीं लाती, क्योंकि दुनिया के तमाम प्रभावशाली लोगों के मध्य, एक अघोषित एकता और अपनापन है। सजा तो सामान्य नागरिकों को दी जाती है।
जंग बहादुर सिंह, जमशेदपुर
दीवानगी का खेल
वैसे तो खेलों के प्रति दुनिया भर में शौकीनों की कोई कमी नहीं, मगर बात जब फुटबाल की हो तो विश्व भर में हर जगह फुटबाल के प्रति दीवानगी जबर्दस्त रहती है। अब जब फुटबाल का फीफा वर्ल्ड कप शुरू होने जा रहा है, लगभग एक माह चलने वाले इस महाकुंभ में बत्तीस देशों के बीच जम कर रोमांचक मैच देखने को मिलेंगे और 18 दिसंबर को पता चलेगा कि विश्व की इस बड़ी प्रतियोगिता में फीफा कप किस देश को नसीब होगा।
कतर ने खूबसूरत मैदान बनाने में काफी मेहनत की है, करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। अनुमान है कि काफी लोग फुटबाल के इन रोमांचक मैचों को देखेंगे। फुटबाल के प्रति दीवानगी हमारे यहां भी काफी है। अब एक माह फुटबाल का शोर रहेगा।
साजिद अली, इंदौर</p>