आजादी की लड़ाई के दौरान तिलक, गांधी, नेहरू, मौलाना आजाद, बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल सहित अनेक नेता आजाद भारत की सर्व समावेशी तस्वीर बना रहे थे। बहुत समय तक चले विचार-विमर्श के बाद देश का संविधान बनाया जिसमें भारत को एक न्यायप्रिय- जहां सभी को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित कराने की बात कही; समतावादी, धर्मनिरपेक्ष, भाषा, धर्म, जाति पांति, क्षेत्र, लिंग के आधार पर भेदभाव से परे राज्य बनाने का संकल्प है तो नागरिकों के मौलिक अधिकार सुरक्षित किए गए। कुल मिलाकर एक मानवीय समाज बनाने की पूरी कोशिश हमारे संविधान में है। नेहरू ने तमाम परंपराओं, रूढ़ियों, प्रचलित और स्थापित मान्यताओं के बरक्स संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप देश को लोकतांत्रिक बनाने की शिद्दत से कोशिश की। नेहरू के जाने के बाद उनकी ही कांग्रेस पार्टी ने संवैधानिक मूल्यों में आस्था जताते हुए भी उनकी अवहेलना शुरू कर दी। सत्ता के भरपूर दुरुपयोग और आपराधिक कृत्यों से कांग्रेस पार्टी तो बरबाद हुई और उसके स्थान पर जो भाजपा सत्ता में आई उसका तो भरोसा ही संविधान में दिए मूल्यों में न होकर हिंदू राष्ट्रवाद और मनुस्मृति में रहा है। इसलिए उसके सत्ता में आने के बाद जो हो रहा है वह कतई आश्चर्यजनक नहीं है।

भारतीय लोकतांत्रिक दृष्टि से उलट पाकिस्तान में फौजी तानाशाही हुकूमत ने उसे एक संकीर्ण समाज बनाने के जतन किए। हालांकि वहां भी समय-समय पर चुनावों के जरिए लोकतंत्र आता-जाता रहा। हमारी पहचान एक दूसरे से एकदम विपरीत ध्रुवों की तरह होने लगी। भाजपा हमेशा से पाकिस्तान को आतंक का गढ़, खलनायक और दुश्मन के रूप प्रचारित करती रही है इसलिए सत्ता में आने के बाद उसने और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनेक सहयोगी संगठनों ने पाकिस्तान से दुश्मनी ही सबसे अहम सरोकार माना। जनसत्ता 24 मार्च में प्रकाशित ‘पूरी तरह मिटा दिया जाएगा पाकिस्तान से आतंकवाद’ लेख के अनुसार अभी पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस पर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का संदेश देख कर लगा कि भारत और पाकिस्तान की भूमिकाओं में मानो अदला-बदली हो गई है। नवाज शरीफ ने अपने संदेश में कहा कि उनकी सरकार ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों से कहा कि वे एक बहुलतावादी समाज बनाने के लिए हर पाकिस्तानी नागरिक को समान अवसर पेश करने का संकल्प लें। एक ऐसा समाज जहां पुरुष और महिलाएं देश की तरक्की के लिए मिलकर काम करें। पाकिस्तान को ऐसा देश बनाएं जहां बिना किसी डर या खतरे के लोग अपने धर्म का पालन करें। उन्होंने बहुलता, समानता और न्याय पर आधारित देश बनाने की बात भी कही। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का यह कथन उसकी बहुप्रचारित छवि से एकदम उलट है। लगता है, पाकिस्तान भारतीय संवैधानिक मूल्यों की बात कर रहा है और भारत में कट्टरता अपने पैर फैला रही है। नवाज शरीफ के इस बयान का स्वागत और इस दिशा में बढ़ने के लिए सहयोग ही दोनों देशों के हित में है।
(श्याम बोहरे, बावड़ियाकलां, भोपाल)

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युवा शक्ति
भारत में 2025 तक सत्तर प्रतिशत आबादी युवा होगी। जिस देश में युवाओं की आबादी ज्यादा होती है वह तेजी से तरक्की करता है। युवा शक्ति देश की तकदीर और तस्वीर बदलने का माद््दा रखती है। बस उसे सही दिशा में मोड़ने की जरूरत है। उसके लिए गुणवतापूर्ण शिक्षा, श्रेष्ठ प्रशिक्षण और विकास का अनुकूल वातावरण मुहैया कराना और शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाना होगा। विकास की नीतियों में युवाओं की भागीदारी और उनकी क्षमताओं का लाभ उठाना जरूरी है। युवा देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। वे व्यवस्था में बदलाव लाना चाहते हैं। हमें इस युवा शक्ति को अपने साथ जोड़ना होगा। (सलोनी मंढाण, यमुनानगर)

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अपराध और राजनीति
राजनीति में आपराधिक छवि वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। चौदहवीं, पंद्रहवीं लोकसभा में क्रमश: चौबीस और तीस प्रतिशत सांसद आपराधिक छवि के थे। 2013 के सर्वे में राज्यसभा के सत्रह प्रतिशत सांसद आपराधिक छवि वाले थे। अब भी चौंतीस प्रतिशत सांसद और कुछ केबिनेट मंत्री आपराधिक छवि के हैं। सभी राजनीतिक दल इसे लेकर कितने चिंतित हैं इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जब दो मई 2002 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था कि सभी चुनावी प्रत्याशियों को अपने ऊपर लगे आरोपों के बारे में चुनाव आयोग को लिखकर देना होगा तो उस समय की अटल सरकार के साथ पूरा विपक्ष इसके विरोध में था। दस जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि था अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उसे अयोग्य घोषित करके उपचुनाव कराए जाने चाहिए। इस फैसले के बाद मनमोहन सरकार और पूरा विपक्ष एक साथ इसके विरोध में था। 2013 के सर्वे में 4807 सांसदों और विधायकों में से 1460 पर कोई न कोई मुकदमा दर्ज था और 688 ऐसे थे जिन पर अतिसंवेदनशील मुकदमे थे। और हद तो तब हो गई जब अहिंसा के पुजारी बापू की जन्मस्थली पोरबंदर से ऐसे सांसद चुनकर आए हैं जिन पर सोलह मुकदमे चल रहे हैं।हमारी राजनीति में अपराध उसी तरह मिल गया है जिस तरह पवित्र नदी गंगा में गंदगी। राजनीति से अपराध की सफाई उतनी ही मुश्किल है जितनी गंगा की सफाई है। (सूरज कुमार बैरवा, सीतापुरा, जयपुर)

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भारत की खूबसूरती
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। यहां हर धर्म और संप्रदाय के लोगों को समान अधिकार प्राप्त हैं। यहां अलग-अलग धर्म में विभिन्न प्रकार की संस्कृतियां देखने को मिलती हैं। यहां के लोग आपस में मिल कर खुशी से त्योहार आदि मानते हैं। भारत की खूबसूरती इसी विविधिता से झलकती है। लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए भारत की विविधता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं जो भारत की इस खूबसूरती के लिए घातक है। हमें भारत की विविधता को नुकसान पहुंचाने वाले इन स्वार्थियों के विरुद्ध मिलकर खड़ा होना होगा ताकि इस खूबसूरती को किसी भी प्रकार का खतरा न हो। (विक्रम प्रताप सिंह, हरिद्वार)
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आरक्षण की समीक्षा
भगवान बुद्ध ने मूर्ति पूजा की मुखालफत की थी लेकिन उनके जाने के बाद उनके अनुयायियों ने उन्हीं की मूर्ति पूजा शुरू कर दी। अक्सर देखा जाता कि कोई महान व्यक्ति अगर किसी बुराई के विरोध में तर्क गढ़ता है तो उसके अनुयायी उसके जाने के बाद उन्हीं बुराइयों के साथ हो लेते हैं। ऐसा ही कुछ हमारे नेताओं ने बाबा साहेब आंबेडकर के साथ किया है। सभी पार्टियों ने अपने-अपने आंबेडकर गढ़ लिए। बाबा साहेब का मकसद निचले तबकों को समाज में बराबर का दर्जा दिलाना था। इसके लिए उन्होंने संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की। मगर यही आरक्षण बाद में इतना बड़ा सियासी हथियार बन गया। इसके आधार पर सत्ताएं बनने और बिगड़ने लगीं। एकीकृत समाज का सपना देखने वाले बाबा साहेब के आदर्शों को इसी आरक्षण की तलवार से छलनी कर दिया गया। आजाद भारत के नागरिकों को हमारे नेताओं ने जातियों में बांट कर वोटों में तब्दील कर दिया। आज वाकई आरक्षण की समीक्षा का जरूरत है। समीक्षा की जाए कि इस आरक्षण को नेताओं के चंगुल से कैसे मुक्त किया जाए। (आलोक कुमार, गाजियाबाद)