लोगों से आग्रह किया गया है कि अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें। वायु प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है पराली जलाना। मगर यह समस्या तो हर वर्ष की है। फिर भी सरकारें लोगों के जीवन को बचाने के लिए प्रदूषण कम नहीं कर पातीं, तो इसका कारण है सरकारों की लापरवाही।

जब किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने लगती हैं, तब शासन इन्हें रोकने का प्रयास करती है। बेहतर होता कि समय रहते उसके निस्तारण (पराली) के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते। दूसरी तरफ सरकारें दिल्ली में चलने वाले वाहन में कमी लाकर भी कुछ प्रदूषण कम कर सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि सरकारी बसों की संख्या में वृद्धि की जाए और उनमें ऐसी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं, जिससे अमीर व्यक्ति भी उनका उपयोग करें।

रिंकू जायसवाल, सिंगरौली

चुनौतियों के सामने

दुनिया का औसत तापमान तेजी से बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव के कारण पिछले सौ सालों में सबसे गर्म वर्ष 2001 के बाद वाले ही रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के खतरों का असर दशकों पहले दिखने लगा था, लेकिन इनसे निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इसलिए आज बीसवीं सदी के औसत की तुलना में वैश्विक तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है।

चेतावनी दी जा रही है कि अभी नहीं संभले तो वर्ष 2080 तक ग्लोबल वार्मिंग के कारण पौधों की आधी और जीवों की एक तिहाई प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी। इसी के कारण खेती भी प्रभावित हो रही है, जिससे कई क्षेत्रों में खाद्यान्न संकट का खतरा है। शुरू में इस दिशा में ठोस पहल 1992 में यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) संधि द्वारा हुई। इसमें जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने की दिशा में नियमों का खाका खींचा गया। इसी के तहत 1995 से कांफ्रेंस आफ पार्टीज (सीओपी) के रूप में वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। बीते लगभग तीन दशकों में चर्चा तो खूब हुई और लक्ष्य भी तय किए गए, लेकिन लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में उतना प्रयास नहीं हुआ, जितना अपेक्षित था।

आज वैश्विक स्तर पर यातायात में छोटे वाहनों की हिस्सेदारी चौवन प्रतिशत है, जिसे लगभग 4-14 प्रतिशत तक कम करना होगा और 2030 तक विश्व वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 35-95 प्रतिशत तक लानी होगी। काप 27 की सफलता इसी बात पर निर्भर है कि सदस्य देश जलवायु परिवर्तन के कारण आसन्न खतरों और उनसे निपटने की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लाएं।
अंकित सिसौदिया, मेरठ</p>