प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले को लगभग दो दिन हो चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अब तक इस पर चुप्पी साध रखी है। राजनीति में नफरत किस हद तक जहरीली हो सकती है, यह पंजाब में कांग्रेस की सरकार ने दिखा दिया। प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा से समझौता देश के साथ एक भद्दा मजाक और एक अक्षम्य अपराध है।

दुर्भाग्यवश पंजाब में जो हुआ, वह किसी भी लिहाज से बर्दाश्त योग्य नहीं है। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोताही बरतना पंजाब सरकार के दिशाभ्रमित होने का पुख्ता सबूत है। प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पीते पुलिसवालों की तस्वीर सारी कहानी स्पष्ट कर रही है। इससे यही पता चलता है कि अंधविरोध की राजनीति किस तरह नफरत में तब्दील हो चुकी है।
’पीयूष कुमार, पटना

लापरवाही की हद

किसे पता था कि इतनी देखभाल के बाद भी कोरोना की तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है। राज्य सरकारों को सार्वजनिक गतिविधियों और लोगों के आवागमन को सीमित करने पर मजबूर होना पड़ेगा। दिल्ली में काफी मामले बढ़ने से वहां सप्ताहांत का कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। इसी तरह से अन्य जगहों पर, जहां भीड़ बढ़ती है, वहां सख्ती की जा रही है।

इसलिए हम इसे उचित समझते हैं, क्योंकि यह हमारी लापरवाही का ही नतीजा है कि हमें तीसरी लहर का सामना करने की नौबत आ रही है। दूसरी लहर के बाद पूरे देश में जिस तरह के कदम हालत सुधारने के लिए उठाए गए थे, उन सब का क्या हुआ, क्या वे आज दिखाई दे रहे हैं, हमें तो नहीं लगता। अस्पतालों की संख्या बढ़ाना, बेड बढ़ाना, टीके बढ़ाना, आक्सीजन सिलेंडर बढ़ाना। वह सब क्या आज दिखाई दे रहा है? तीसरी लहर को रोकने के उपायों की समीक्षा की जानी चाहिए। कोई नहीं चाहता कि अब तीसरी लहर आए।

अभी केंद्र सरकार पांच राज्यों के चुनाव संपन्न कराने पर अधिक ध्यान दे रही है, इसीलिए रैली, आमसभा, भीड़भाड़ भी वहां अधिक दिखाई दे रही है। सवाल है कि इंसानी जिंदगी बचाने की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा। जब सारे ही देश में ‘रेड अलर्ट’ जारी है तो इन राज्यों, खासकर यूपी में, क्यों इंसानी जान की सुरक्षा संबंधी सावधानियां नहीं बढ़ाई जा रही हैं। कहीं ऐसा न हो कि फिर हमें इसके लिए बाद में पछताना पड़े।
’मनमोहन राजावत ‘राज’, शाजापुर

विचार की जरूरत

प्रधानमंत्री को पंजाब में जन कल्याणकारी योजनाओं का उद्घाटन करने फिरोजपुर जाना था, मगर सुरक्षा चूक के कारण यह दौरा रद्द करना पड़ा। यह एक बड़ी जांच का विषय होना चाहिए कि किन कारणों से ऐसा हुआ। यह घटना गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।क्या राज्य सरकार प्रधानमंत्री के काफिले को सुरक्षा देने में असमर्थ रही? क्या काफिले के मार्ग को अवरुद्ध करने वाले प्रदर्शनकारियों को रोका नहीं जा सकता था? क्या प्रधानमंत्री की प्रस्तावित रैली में जाने के लिए रोकने का यह एक षड्यंत्र था? देश के गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है, जिस पर निश्चित रूप से कड़ा कदम उठाना चाहिए, ताकि भविष्य में देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा में किसी तरह की चूक न हो। प्रदर्शनकारियों को समझना होगा कि देश के प्रधानमंत्री के समक्ष अवरोध उपस्थित करना कितना जायज है, अपनी मांगें मंगवाने का यह तरीका कितना उचित है।
’वीरेंद्र कुमार जाटव, नई दिल्ली</p>