केंद्र सरकार के कृषि सुधार कानूनों को अदालत में चुनौती दी गई गई है। मामला न्यायसंगत होने पर भी अदालत विरोध करने के अधिकार के विरुद्ध नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से कहा है कि अनिश्चित काल तक नहीं रोक सकते सड़क। सड़क बंदी के कारण समय पर गंतव्य तक पहुंचना कठिन हो जाता है, जिससे यातायात की गंभीर समस्या होती है। इससे अतिरिक्त र्इंधन भी जलता है। सड़क जाम होने से अब तक कितने लोगों ने कितना समय और र्इंधन बर्बाद किया है? इस पर विचार किया जाना चाहिए। आप जितना अधिक र्इंधन जलाएंगे, उतना ही अधिक प्रदूषण होगा। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ेंगी। सड़क सार्वजनिक संपत्ति है। इसलिए इसका उपयोग उसी तरह करना चाहिए। सड़क जाम कर आंदोलन का तरीका गलत है। आंदोलन के दौरान दूसरों को बाधित कर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए सड़क जाम करने का तरीका भी गलत है। मगर इसका मतलब यह नहीं है कि यह दूसरों को बेवजह दुख दिया जाए।

चल रहे आंदोलन के कारण कितने लोगों को नुकसान हुआ है? इसके बारे में सोचना चाहिए। जैसे प्रदर्शनकारियों का सवाल है, आम लोगों का भी सवाल है कि इस आंदोलन के जरिए सड़क जाम कर लोगों को परेशान क्यों किया जा रहा है? हर कोई समय पर अपनी मंजिल तक पहुंचना चाहता है। लेकिन अगर सड़क पर कोई बाधा है, तो आप कितना भी तय कर लें, समय पर पहुंचना मुश्किल है। अगर कोई वाहन सड़क पर फंस जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है तो रास्ता जाम हो जाता है। इसका अनुभव सभी ने किया है। काम का तनाव, आंदोलन के कारण सड़कें बंद होने पर समय पर काम पर पहुंचने का तनाव, समय पर घर न पहुंच पाने के कारण निराश होना। ये सभी चीजें मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। हमेशा तनाव में रहने से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करते समय किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। इसका ध्यान रखना प्रदर्शनकारियों की जिम्मेदारी है। प्रदर्शनकारियों को अदालत के फैसले का शत-प्रतिशत पालन करना चाहिए।
’जयेश राणे, मुंबई</p>

आपदा में राहत

कोविड टीकाकरण की शतकीय पारी से कोरोना विषाणु अब हारने को मजबूर है। कोविड विश्व की भयानक बीमारियों में से एक है, जिसने दुनिया भर में अपना प्रकोप छोड़ा। इस बीमारी ने सभी को समानता से अपनी चपेट में लिया। असंख्य लोगों के जीवन को तहस-नहस कर दिया और इस बीमारी से वही बच पाया, जिसने सतर्कता से मुकाबला करते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझावों को प्राथमिकता दी। इस जनभागीदारी का यह फायदा रहा कि, भारत ने आज सौ करोड़ से भी अधिक कोविड टीकाकरण कर देशवासियों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित कर दी।

यह वही भारत है, जिसे कुछ दशकों पहले तक दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उपयुक्त नहीं माना जाता था, लेकिन कोरोना महामारी में जिस तरह विश्व का नेतृत्व करते हुए भारत ने अपने मित्र देशों के साथ मिल कर पूरी दुनिया को जो राह दिखाई, उससे यह सिद्ध हो गया कि भारत आज भी विश्वगुरु है, इस उपलब्धि के नायक हमारे देश के चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मियों ओर प्रशासनिक प्रबंधन है, जिन्होंने भारत सरकार के नियमों का सुगमता से पालन करवा कर देश को कोविड वैश्विक महामारी से बचाया। इस मुहिम में जनता की जागरूकता भी कम नहीं रही, लोगों ने स्वविवेक से ही संक्रमण की रोकथाम की ओर सरकार के आदेशों का पालन किया। इस बात से यह समझा जा सकता है कि जब देश समस्याओं से घिरा हो तो तब कुशल नेतृत्व और जनभागीदारी के साथ आपदाओं से लड़ा जा सकता है।
’शुभम दुबे, इंदौर, मध्यप्रदेश