मेक इन इंडिया और स्टार्ट-अप जैसी योजनाएं कितनी कारगर साबित हो सकती हैं, जब देश का एक बड़ा तबका रोजी-रोटी, पीने के साफ पानी और सिर पर छत के लिए तरस रहा हो। कितने शर्म की बात है कि देश के बड़े हिस्सों में भुखमरी से मौतें हो रही हैं और सरकारें उन्हें ढंकने की कोशिश करती हैं।
जब शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं गरीब जनता महरूम हो, तो विकास की बातें खोखली नजर आती हैं। आम जनता को लुभावने सपने दिखाए जा रहे हैं। सच्चाई यह है कि देश की बहुसंख्यक जनता दिल्ली में भी अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं कर पा रही है।
आज भी पीने के पानी के लिए उसे घंटों लाइन में लगना पड़ता है। जब देश की राजधानी का यह हाल है, तो देश के बाकी हिस्सों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
’रमेश शर्मा, केशव पुरम, दिल्ली