आधार कार्ड ‘जनधन, आधार और मोबाइल’ त्रिगुट का सर्वाधिक प्रभावशाली स्तंभ है जो देश के सार्वभौमिक आर्थिक समावेशीकरण के लिए आवश्यक है। इसके साथ ही यह ‘डिजिटल इंडिया’ का एक महत्त्वपूर्ण वाहक भी है। लेकिन कुछ दिनों पहले जब जम्मू-कश्मीर के एक आतंकवादी को फर्जी आधार कार्ड के साथ पकड़ा गया तो इसके सुरक्षित होने की पोल भी खुल गई। यह एक तरफ तकनीक के दुरुपयोग का उदाहरण है तो दूसरी ओर हमें सचेत भी करता है कि इस तरह कितने और लोग फर्जी आधार कार्ड के साथ सारी सुविधाएं तो प्राप्त नहीं कर रहे?

आधार कार्ड थ्री-डी मोनोग्राम रहित है जो इसके दुरुपयोग की आशंका को और बढ़ा देता है। कस्बों या शहरों के नुक्कड़ों पर संचालित छोटे-से कंप्यूटर सेंटर भी आजकल एक स्मार्ट कार्ड की तरह एक प्लास्टिक के कार्ड पर आधार कार्ड निकाल कर देते हैं, जिसमें एडिटिंग भी शामिल है। यानी फोटो आपका और पता किसी और का! इस तरह की गैरकानूनी आधार कार्ड प्रिंट करने की प्रक्रिया को तत्काल रोक कर एक दंडनीय अपराध बनाने की जरूरत है। आधार कार्ड को स्मार्ट कार्ड बना कर ही जारी किया जाए, जिससे उसके दुरुपयोग की संभावना नगण्य की जा सके।

पुष्पेंद्र सिंह राजपूत, आगरा</strong>