देश को आजादी मिलने के बाद भारत में लोकतंत्र की स्थापना हुई, जिसमें जनता को लोकतंत्र की बुनियाद माना गया। देश में रहने वाला हर इंसान चाहता है कि उसे एक खुशहाल जिंदगी मिले। लेकिन अगर देशवासियों को स्वास्थ्य से, रोजगार से, प्रदूषण या भ्रष्टाचार से तकलीफ होती है तो वे सरकार को दोषी मानते हैं और यह स्वाभाविक है। ऐसी तकलीफ में अगर कोई सरकार की आलोचना करने वाले पोस्टर लगाता है तो सरकार को इसे सहजता से स्वीकार करना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था में अगर किसी अच्छे काम की वाहवाही मिलेगी तो लोग परेशान होंगे तो आलोचना भी करेंगे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक आम आदमी को यह बुनियादी अधिकार है कि वह चाहे तो सरकारों के फैसलों की निंदा कर सकता है। अगर किसी की सोच सत्ता के अनुकूल नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह देशद्रोही है। सवाल करना जनता का और विपक्ष का संवैधानिक अधिकार है।
’चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली
जनतंत्र की आवाज
लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक आम आदमी को यह बुनियादी अधिकार है कि वह चाहे तो सरकारों के फैसलों की निंदा कर सकता है। अगर किसी की सोच सत्ता के अनुकूल नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह देशद्रोही है।
Written by जनसत्ता

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First published on: 19-05-2021 at 04:17 IST