केंद्र सरकार बड़े-बड़े फैसले देशहित में ले रही है। तालिबान सरकार को समर्थन और मान्यता देने के मुद्दे पर अमेरिका ने हाथ खींच लिया। चीन और पाकिस्तान ने तालिबान को मोहरा बना रखा है। चीन ने तालिबान में निवेश और मदद करने का भरोसा दिलाया था। मगर जब तालिबान को पैसे की जरूरत पड़ी तब वह मुकर गया। आज अफगानिस्तान के नागरिकों की दयनीय स्थिति है।

अफगानिस्तान के नागरिक भूखे पेट रात गुजारने पर मजबूर हैं। लिहाजा, दुख के दिनों को भारत कैसे नजरअंदाज कर सकता है। तालिबानियों के लिए हमदर्द बने चीन और पाकिस्तान ने अंगूठा दिखा दिया। भारत ने मध्य एशिया के सात देशों को मिला कर मानवतावादी अभिगम अपना कर अफगान नगरिकों की मदद करने की रणनीति बनाई है।

तालिबान के सत्ता संभालने के बाद वहां के नागरिकों पर असर पड़ा है। भारत ने पड़ोसी देशों के संयुक्त संगठन के सहयोग से अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद के लिए खड़ा हुआ है। भारत ने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का आतंकवाद के लिए उपयोग नहीं होना चाहिए। दरअसल, अफगानिस्तान में भारत ने अरबों रुपए का निवेश किया है।

तालिबान की मदद के बाद यह तो तय है कि पाकिस्तान और चीन की बोलती बंद हो जाएगी, क्योंकि पाकिस्तान के पास तालिबान को देने के लिए फूटी कौड़ी नहीं है, जबकि चीन भरोसा दिला कर मुकर गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित बैठक पर चीन और पाकिस्तान की नजर है। गुरुतर दायित्व निभाने के लिए भारत और मध्य एशियाई देश सम्मिलित हुए हैं।

भारत सरकार का सिद्धांत रहा है कि पड़ोसी से अच्छे संबंध रखना चाहिए, क्योंकि पड़ोसी बदले नहीं जा सकते हैं। लेकिन चीन और पाकिस्तान को अपवाद मान कर अन्य देश भारत के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में भारत का दृष्टिकोण लोकतांत्रिक देशों के अनुकूल है। आज अफगानिस्तान को मदद की जरूरत है।

भारत की मदद से अफगान सत्तारूढ़ सरकार के मन में भारत के प्रति आस्था और विश्वास की जड़ें मजबूत होंगी। बंदूक की नोंक पर सत्ता हासिल करने वाले तालिबानियो के मन में भारत की छवि निखर जाएगी।

इतना ही नहीं, अफगानिस्तान में भारत का पैसा लगा है। उन पैसों की रिकवरी आसान हो जाएगी। अफगानिस्तान के नागरिकों की मदद से तालिबान का भारत के प्रति और विश्वास बढ़ जाएगा। आज के दौर में आतंकी संगठनों का कोई भरोसा नहीं करता है। इसलिए तालिबान किसी पड़ोसी देश को भारत की तरफ आंख उठा कर देखने की इजाजत नहीं देगा।

पाकिस्तान कश्मीर के लिए तालिबान से मदद नही मांग सकेगा। भारत की अनेक समस्याओं का निराकरण अफगानिस्तान को मदद करने से स्वत: ही दूर हो जाएगा।
’कांतिलाल मांडोत, सूरत