कोरोना महामारी ने न केवल हमारे स्वास्थ्य ढांचे, प्रशासनिक उत्तरदायित्व, मानवीय मूल्यों को बल्कि नैतिकता को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक ओर महामारी की विपदा तो दूसरी ओर आपदा में अवसर तलाशने वाले लोभी व्यक्तियों ने कालाबाजारी और झूठी सूचनाओं के गलत प्रसार का सहारा लेकर मानवता को शर्मसार किया है। हालांकि कठिन परिस्थितियों का अंत भी निश्चित होता है। पिछली विपदाओं की भांति हम वर्तमान कठिन दौर से निकल तो जाएंगे, परंतु अब स्वास्थ्य संबंधी एक व्यापक दीर्घकालिक रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल के लिए मानवीय व्यवहार में परिवर्तन लाना, योग और प्रकृति आधारित जीवन शैली को अपनाना, केंद्र और राज्यों के स्वास्थ्य बजट में वृद्धि ताकि अनुसंधान और विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके, ग्रामीण स्वास्थ्य में पंचायती राज की सक्रिय भूमिका, स्वास्थ्य क्षेत्र को समवर्ती सूची में लाने पर विचार करने जैसे बिंदु प्रमुख हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशासनिक समस्याओं के निपटान हेतु श्रीनाथ कमेटी की रिपोर्ट की अनुशंसा के अनुसार प्रशासनिक सेवा की भांति स्वास्थ्य सेवा के लिए अलग कैडर की स्थापना पर भी विचार होना चाहिए।
’रोशनी कुमारी, पश्चिमी चंपारण (बिहार)
स्वास्थ्य की रणनीति
स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रशासनिक समस्याओं के निपटान हेतु श्रीनाथ कमेटी की रिपोर्ट की अनुशंसा के अनुसार प्रशासनिक सेवा की भांति स्वास्थ्य सेवा के लिए अलग कैडर की स्थापना पर भी विचार होना चाहिए।
Written by जनसत्ता

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First published on: 17-05-2021 at 01:15 IST