महामारी की वजह से अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट चिंताजनक है। कई राज्यों में बंदी की वजह से आर्थिक मंदी जैसे हालात बन गए हैं। असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों को बेरोजगारी की सबसे बड़ी मार झेलनी पड़ रही है। महामारी की दूसरी लहर ने पुन: एक बार इस क्षेत्र पर ताला लगा दिया है। अर्थव्यवस्था में असंगठित क्षेत्र की भागीदारी लगभग पचास फीसदी है, लेकिन उनके श्रमिकों की हालत सबसे दयनीय रहती है।

आज एक बार फिर गरीब और मजदूर तबका कंगाली के कगार पर है। सरकारों की ओर से दी जा रही मदद ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वापस अपने गांव लौट गए हैं। सरकार को मनरेगा के तहत उन सभी मजदूरों को उनके गांवों में काम उपलब्ध कराना चाहिए। देश में महंगाई दर चरम पर है। यदि महामारी का दौर लंबा चला तो देश और गहरे संकट में फंस जाएगा। सरकार को महामारी नियंत्रण के साथ आर्थिक सुधार और महंगाई नियंत्रण की गति में तेजी लाने के उपायों पर जोर देना होगा। उधोग-धंधों को तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि पुन: लोगों का जीवन पटरी पर आ सके।

’हिमांशु शेखर, गया