मेहनत से पैसा कमाना किसी के लिए गलत बात नहीं है। हर कोई अपने परिश्रम, बुद्धि, विवेक, पूंजी आदि में संवर्धन कर अपनी पूंजी में इजाफा करता है। पूंजीवादी नीति के तहत चल रही वर्तमान व्यवस्था में जो जितना अधिक पूंजी का इस्तेमाल करता है, वह उतना ही ज्यादा मुनाफा कमा रहा है। दूसरी ओर जिस लोकतांत्रिक परिवेश में हम लोग जी रहे हैं, वहां नीति नियामकों ने कल्याणकारी राज्य की भी अवधारणा को आत्मसात किया है।
मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपना कर सबके विकास के सपने को साकार करने का प्रयत्न किया गया है। समानता से आगे जाकर समता के भाव को अपनाया गया है। विषमता की खाई अत्यधिक चौड़ी न हो, इस बात के हर संभव प्रयत्न किए जाते रहे हैं। दूसरी ओर, वर्तमान के कोरोना काल में जब बहुत से लोगों की आर्थिक क्षमता में ह्रास देखने को मिला, आर्थिक तौर पर बहुत से लोग टूट गए, रोजगार के लिए लोग भटक रहे हैं, ऐसे में अगर यह खबर आती है कि इसी दौर में किसी उद्योगपति की संपत्ति में प्रत्येक घंटे नब्बे करोड़ रुपए का इजाफा होता रहा तो उन करोड़ों बेरोजगार और रोजगार से जा चुके व्यक्ति को क्षोभ जरूर होता है कि सरकारी नीति कहीं न कहीं विषमतामूलक है, तभी किसी की कमाई आसमान को छू रही है तो कोई जिंदा रहने की खातिर रोजगार के लिए भी तरस रहा है।
’मिथिलेश कुमार, भागलपुर, बिहार