जिंदगी का सफर तय करने वाले लोग अपनी चुनी हुई सड़कों के साथ अपना सफर आरंभ करते हैं। कुछ सड़कें लोगों के लिए नया मार्गदर्शन दिखाती हैं, तो उसी सड़कों पर किसी की जिंदगी भूख और प्यास को हाथ में लिए इधर-उधर भटकती रहती है। क्या कसूर है उन बच्चों का जो उन्हें छोटी उम्र में सड़क का रास्ता दिखा दिया जाता है। वर्तमान में लोग सबसे ज्यादा बेरोजगारी और गरीबी की मार खा रहे हैं। क्या उनके लिए कोई ऐसा मार्ग है, जिससे वे अपनी नई जिंदगी का सफर शुरू कर सकें? हम सभी के बच्चे शिक्षा को प्राप्त करते हैं, पर उन सभी बच्चों को कौन-सी सजा मिली है जो वे चाहते हुए भी शिक्षा से दूर रहते हैं? इसके लिए क्या वे बच्चे या उनके परिवार जिम्मेदार हैं? मेरा विचार है कि इसके लिए हमारी व्यवस्था जिम्मेदार है, जिसकी वजह से ऐसे बच्चों और तमाम गरीब तबकों के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार सहित अपने मानव अधिकारों तक से वंचित होना पड़ता है।
’सृष्टि मौर्य, फरीदाबाद, हरियाणा
दोहरी व्यवस्था
जिंदगी का सफर तय करने वाले लोग अपनी चुनी हुई सड़कों के साथ अपना सफर आरंभ करते हैं। कुछ सड़कें लोगों के लिए नया मार्गदर्शन दिखाती हैं, तो उसी सड़कों पर किसी की जिंदगी भूख और प्यास को हाथ में लिए इधर-उधर भटकती रहती है। क्या कसूर है उन बच्चों का जो उन्हें छोटी उम्र […]
Written by जनसत्ता

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First published on: 01-05-2021 at 02:56 IST