केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि विशेषज्ञों ने कोरोना की दूसरी लहर की भी चेतावनी दी थी, लेकिन उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। इसी लापरवाही का नतीजा है चरमराती स्वास्थ्य सुविधाएं और त्राहिमाम करती जनता। दूसरी लहर के अनुभवों के मद्देनजर हमें तीसरी लहर की चेतावनी को पूरी गंभीरता से लेना होगा और अभी से युद्ध स्तर पर तैयारियां करनी होंगी। जैसे सौ बिस्तरों से अधिक के हर अस्पताल में कम से कम पचास फीसद बिस्तर आॅक्सीजन सुविधा वाले और दस फीसद बिस्तर वेंटीलेटर सुविधा के वाले तैयार करना और इन अस्पतालों में पीएसए आॅक्सीजन सयंत्र लगाना। आयात और घरेलू उत्पादन बढ़ा कर चिकित्सा और जांच उपकरणों, दवाइयों, जांच किट, जरूरी रसायनों, कच्चे माल आदि का आपातकालीन भंडारण तैयार करना। टीकाकरण, जांच, वेंटीलेटर, चिकित्सा उपकरणों को चलाने आदि के लिए पंद्रह से तीस दिनों के छोटे-छोटे प्रशिक्षण कार्यक्रम चला कर प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करना। चिकित्सा सुविधाओं का विकेंद्रीकरण करना, ताकि ये दूरदराज के इलाकों तक पहुंच सकें।
पूर्णबंदी के बिना कोरोना पर कैसे काबू पाया जाए, इसकी विस्तृत योजना तैयार रखने की भी जरूरत है। अभी जो अस्थायी चिकित्सा सुविधाएं बनाई जा रही हैं, उन्हें या तो जारी रखना या इस स्थिति में रखना चाहिए कि जरूरत पड़ने पर सिर्फ कुछ घंटों में उनका उपयोग हो सके। अस्पतालों की बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ रखना चाहिए, ताकि उनमें आग न लगे। पहली लहर में अस्पतालों को जो वेंटीलेटर दिए गए थे उनमें से कुछ की आज तक पैकिंग नहीं खुलने की खबरें आर्ईं। इसलिए स्वास्थ्य केंद्रों तक सामान पहुंचने के बाद उसका उचित उपयोग भी कानूनन सुनिश्चित करना होगा।
’बृजेश माथुर, गाजियाबाद, उप्र