कुछ दिन पूर्व एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह कह डाला कि भाजपा की नेपाल और श्रीलंका सहित पड़ोसी देशों में अपनी सरकार बनाने की योजना है। इस बयान के आते ही नेपाल ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और भारतीय पक्ष से स्पष्टीकरण की मांग भी की। निश्चित रूप से भारतीय विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त राजनीतिक पदों पर बैठे लोगों द्वारा यदि इस तरह का बयान दिया जाता है तो यह शर्मनाक है।
इस तरह के अनुचित बयानों पर रोक लगाने की भी आवश्यकता है जिससे किसी भी देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों में कोई खटास पैदा न हो। यह बयान ऐसे समय में आया है जब नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। पिछले साल दिसंबर में ही नेपाली राष्ट्रपति ने नेपाली संसद को भंग किया था। हालांकि अभी भी केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री पद की भूमिका में बने हुए हैं।
वर्तमान समय में नेपाल की सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में ओली और प्रचंड गुट में खींचतान चल रही है। ऐसे समय में इस तरह के बयान पार्टी को एकजुट कर सकते हैं। यदि आगामी चुनावों में यह पार्टी पुन: सत्ता में आती है तो भारत के लिए समस्याएं बढ़ेंगी। भारत के राजनीतिक गलियारों से नेपाल की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने वाले ऐसे बयान कम्युनिस्ट पार्टी को एक नई संजीवनी प्रदान कर सकते हैं।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद सियासी गलियारों से गृह मंत्री के बयान को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। निश्चित रूप से इस बयान के बाद भारत-नेपाल और भारत-श्रीलंका संबंधों में दूरियां बढ़ना तय है। नेपाल ने इसे आंतरिक हस्तक्षेप माना है और नेपाली नेतृत्व द्वारा भारतीय शीर्ष नेतृत्व से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है।
पिछले कुछ वर्षों से भारत नेपाल संबंध बेहतर नहीं रहे हैं, फिर भी भारत की ओर से ऐसे प्रयास जारी हैं, जिससे दोनों देशों के संबंध बने रहें। हाल ही में नेपाल के तीन क्षतिग्रस्त सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने बड़ी रकम देने का एलान किया है। यह सांस्कृतिक धरोहर नेपाल में भूकंप के बाद क्षतिग्रस्त हुई थीं। इसके अतिरिक्त भारत लगातार नेपाल के विकास कार्यक्रमों में मदद करता रहा है।
ऐसे में इस तरह के बयान निश्चित रूप से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रभावित करेंगे और इससे दोनों देशों के बीच में दूरियां बढ़ाने वाले साबित होंगे। विप्लव देव के इस गैर जिम्मेदाराना बयान पर श्रीलंका की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली है।
फिर भी भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा की द्विपक्षीय संबंधों और विदेश नीति से संबंधित मुद्दों पर विदेश मंत्रालय के अतिरिक्त अन्य किसी भी राजनैतिक व्यक्ति द्वारा कोई भी टिप्पणी न की जाए। भाजपा को अपने ऐसे नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करनी चाहिए जो बिना सोचे-समझे संवेदनशील मुद्दों पर अनर्गल बयानबाजी करके माहौल खराब करते हैं।
’कुलिंदर सिंह यादव, दिल्ली</p>
बहुमत का नतीजा
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव ने नेपाल और श्रीलंका में भाजपा की सरकार बनाने की बात कह दी। हरियाणा के एक मंत्री ने किसानों के समर्थन में आने वाले नौजवानों के समूल नाश की बात कह डाली। इधर कर्नाटक में जो राममंदिर के लिए चंदा दे रहा है और जो नहीं दे रहा है, उनके घरों के बाहर अलग-अलग चिन्ह बनाया जा रहा है।
आखिर ये सब क्या है? इन सब हरकतों और बयानों को व्यक्तिगत करार देकर तो नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आलाकमान भी इस तरह के किसी बयान और बातों का खंडन नहीं किया है, न ही किसी गतिविधि का विरोध किया है और ऐसा कहने और करने वाले अपनी पार्टी के नेताओं पर कोई अंकुश लगाया है। क्या यह प्रचंड बहुमत मिलने का नतीजा नहीं है!
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी,जमशेदपुर